किसानों पर पुलिस फायरिंग के सप्ताह भर बीतने के बाद भी अबतक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। वहीं, प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ पुलिस ने अबतक 46 एफआईआर दर्ज कर चुकी है।
सरकार ने पुलिस फायरिंग की जांच के लिए हाइकोर्ट के रिटायर्ड जज की एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया है। कानून के जानकारों का मानना है कि यह कदम काफी नहीं है। जबकि इस मामले में पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जाना चाहिए।वहीं, पुलिस अपने बचाव में गोली चलाने की बात कह रही है।
इस घटना के बाद गृह सचिव मधु खरे का तबादला कर दिया गया। फायरिंग की घटना के दो दिनों के बाद जिले के दो पदाधिकारियों का तबादला हो चुका है।
पुलिस फायरिंग में किसानों के मारे जाने के बाद पहले सरकार ने पुलिस की भूमिका से इनकार किया। बाद में, सरकार ने माना कि किसानों की मौत पुलिस की गोली से हुई है।
छह जून को पुलिस फायरिंग में पांच लोगों की मौत हुई। दो घायलों की मृत्यु होने के बाद मृतकों की संख्या बढकर सात हो गई।
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