शिमला. विश्व बैंक और हिमाचल सरकार मिलकर एक बेहद महत्वपूर्ण परियोजना लाने जा रही है, जिससे हिमाचल की बागवानी में अभूतपूर्व विकास कि संभावना जताई जा रही है. भौगोलिक कठिनाईयों के बावजूद भी तकरीबन 45 प्रतिशत जीडीपी का भाग कृषि से ही आता है. इसी कारण अब सरकार राज्य में बागवानी की दिशा में जोर-शोर से लग गई है.
हिमाचल प्रदेश सरकार ने बागवानी क्षेत्र में बेहतर लक्ष्य प्राप्त करने के लिये विश्व बैंक की सहायता ली है। विश्व बैंक इस योजना के लिये 1134 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है. राज्य सरकार और विश्व बैंक आपसी सहयोग से यह योजना पूरी करेंगी हालांकि काम की 80 फीसदी जिम्मेदारी विश्व बैंक उठाएगा.
इस छोटे से राज्य में लोगों को फल-फूल और सब्जियों से लगभग 7600 करोड़ रुपये की सालाना आय होती है. पिछले कुछ सालों से सेब की फसल को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. आयातित फल सेब को खूब टक्कर दे रहे हैं।
इस परियोजना के लिये सामुदायिक सिंचाई सुविधाएं विकसित करने का विशेष प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत लगभग 19560 हेक्टेयर जमीन का इस्तेमाल किया जाएगा. 16 स्थानों पर स्थापित कृषि उपज मण्डियों को आधुनिक किया जाएगा. लोगों को इंतजार है इस परियोजना के जल्द से जल्द शुरू होने का.