रांची. झारखंड के 38 हजार 432 आंगनबाड़ी केन्द्र पर अनिश्चितकाल के लिये बंद हो गये हैं. यहां सेवा देने वाली करीब 80 हजार आंगनबाड़ी सेविकाएं एवं अन्य कर्मी मंगलवार से 11 सूत्री मांग के समर्थन में बेमियादी हड़ताल पर चले गये हैं. इसके साथ ही केन्द्र की सभी गतिविधियां बंद हो गयी है. बंद की वजह से स्वास्थ्य और पोषण के लिये चलाई जा रही कई योजनाएं भी ठप पड़ गयी हैं.
झारखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के तहत राज्य के सेविका-सहायिकाएं और पोषण सखियों ने प्रदेश भर में धरना-प्रदर्शन किया. जमशेदपुर, रांची सहित कई शहरों में आंगनबाड़ी सेविकाओं के द्वारा धरना प्रदर्शन करने की खबरें मिली हैं.
आंगनबाड़ी संघ की अध्यक्ष सुमित राय ने कहा कि आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका को 10 वर्ष तक 4,400 रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाता है, इसके बाद वेतन में महज 63 रुपये की बढ़ोत्तरी होती है, यह विडंबना नहीं तो क्या है. सरकार अपने सभी योजनाओं-कार्यक्रमों का क्रियान्वयन हमसे कराती है, लेकिन सुविधा के नाम पर पीछे हट जाती है.
आंगनबाड़ी सेविकाओं की मांगें
संघर्ष मोर्चा ने आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं को सरकारी कर्मचारी घोषित करने की मांग की है. आंगनबाड़ी सेविका का 21 हजार और सहायिका का 15 हजार रुपए मानदेय करने की मांग की जा रही है. आंदोलनकारी पेंशन के साथ बीमा लाभ मांग रहे हैं.
सेविका, सहायिका और पोषण सखी की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष तय करते हुए पेंशन लागू की जाए.
सेविका को वरीयता एवं योग्यता के आधार पर पर्यवेक्षिका के रिक्त शत-प्रतिशत पदों पर प्रोन्नति दी जाए और राज्य में होनेवाली नियुक्तियों में आरक्षण दिया जाए.
रेडी टू ईट योजना की असफलता को देखते हुए इसे बंद कर पूर्व की तरह पोषाहार योजना लागू करने और सरकारी स्कूलों की तरह पोषाहार सामग्री का मेनू बाजार दर पर तय करने की मांग की गई है.
5 फरवरी से सीएम आवास के समक्ष घेरा डालो-डेरा डालो
23 जनवरी से विधानसभा के समक्ष रोषपूर्ण प्रदर्शन की बात कही गई है. सरकार द्वारा मांगे नहीं माने जाने पर 24 जनवरी से सेविका-सेविकाएं अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ जाएंगी. बैठक में 5 फरवरी से सीएम आवास के समक्ष घेरा डालो-डेरा डालो कार्यक्रम शुरू करने की बात कही गयी है.