मंडी. हिमाचल प्रदेश की राजनीति के दो धुरंधर सीएम वीरभद्र सिंह और पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पंडित सुखराम जब लंबे समय के बाद एक मंच पर इकट्ठा हुए, तो कड़वाहट भरी पुरानी यादें ताजा हो गयी. मौका था मंडी में कांग्रेस प्रभारी सुशील कुमार शिंदे के दौरे को लेकर रखे गए कार्यक्रम का. कार्यक्रम में जहां सीएम पहुंचे वहीं पूर्व केंद्रीय सुखराम भी इसमें भी शरीक हुए.
यहां पंडित सुखराम ने सीएम वीरभद्र सिंह को विकास का मसीहा करार दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि वीरभद्र पर जो आरोप लगे हैं जब तक वह उससे बरी नहीं हो जाते तब तक सक्रीय राजनीति में नहीं आएंगे. भाजपा की सरकारों को भी विकास का श्रेय दिया. उन्होंने कहा कि वर्ष 1999 में भाजपा के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई थी. लेकिन उस सरकार में उनका भी योगदान था. इसलिए भाजपा सरकार के दौरान हुए विकास का श्रेय अब कांग्रेस के खाते में चला गया है.
इसके बाद सीएम वीरभद्र सिंह ने अपने संबोधन में पंडित सुखराम की तारीफ भी की. साथ ही तंज भी कसे. सीएम ने कहा कि पंडित सुखराम ने उनका साथ दिया है. लेकिन उनमें राजनीतिक स्थिरता नहीं रही. कभी यहां कभी वहां और कभी ऊपर-नीचे भागते रहे. वह लंबी चौड़ी बात नहीं करते और समझदार को इशारा ही काफी होता है.
दो नेताओं के बीच हुई जुबानी जंग के बाद पंडित सुखराम के सुपुत्र एवं वीरभद्र कैबिनेट के सहयोगी अनिल शर्मा बचाव पक्ष में उतर आए. अनिल शर्मा ने कहा कि सीएम वीरभद्र सिंह बुजुर्ग नेता हैं और कुछ भी बोल सकते हैं. पंडित सुखराम ने कभी कांग्रेस नहीं छोड़ी. बल्कि उन्हें निकाला गया था. आज वह फिर से कांग्रेस पार्टी के लिए पूरी सक्रियता से काम कर रहे हैं.