शिमला : नगर निगम चुनाव में मिले हार को कांग्रेस पार्टी पचा नहीं पा रही है. कांग्रेस पार्टी का मानना है कि पार्टी में गुटबाजी के कारण 31 साल बाद जनता ने उनसे मुंह मोड लिया है. इस चुनाव में कांग्रेस हर मोर्चे पर विफल रही है. कांग्रेस के द्वारा पहले इस चुनाव को टालने की कोशिश की जा रही थी, फिर मतदाता सूची हजारों लोगों का नाम गायब होना, पूरे 34 प्रत्याशियों को मैदान में न उतार पाना कांग्रेस के लिए यह समस्या बनी हुई थी. जो कांग्रेस आलाकमान को सोचने पर मजबूर करती है कि पार्टी को अब किस दिशा में काम करना चाहिए.
हाईकोर्ट के आदेश में बाद शिमला नगर निगम चुनाव हुए, इसमें चुनाव छः वार्ड में यह स्थिति बनी हुई थी कि पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी कौन होगा. पार्टी और सरकार में बैठे नेताओं के बीच ताल-मेल की कमी नजर आ रही थी. पार्टी में गुटबाजी इस कदर हावी नजर आई कि चुनावों में एक दो नहीं बल्कि कई धड़े पार्टी के लिए अपनी-अपनी साख बचाने में लिए लगे हुए थे. कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंद्र सुक्खू आखिर तक प्रेस नोट बनवा कर मीडिया को बाँटने में लगे हुए थे.
मुख्यमंत्री भी दिखे अलग -अलग
इस चुनाव में सीएम वीरभद्र सिंह भी अकेले शिमला के वार्ड में सभाएँ कर अपनों को तलाश रहे थे. उनके साथ पार्टी का और भी कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आया. वहीं शिमला ग्रामीण में कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशियों पर फैसला ही नहीं किया. आखिर डूबती नैया को किनारे लगाने के लिए सीएम वीरभद्र सिंह के पुत्र युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह मोर्चे में डटे रहे. उन्होंने आखिरी वक्त अपने युवा नेताओं के कार्यालय खुलवाए लेकिन दूसरे धड़े की नाराजगी मोल लेकर खुद के लिए मुसीबत मोल ले ली.कांग्रेस मीडिया सेल के अध्यक्ष नरेश चौहान का कहना है कि यहां कोई मोदी लहर नहीं थी और जनता ने भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं दिया. कांग्रेस अपनी हार पर मंथन करेगी.