शिमला. हिमाचल प्रदेश में चुनाव नतीजे आने से हफ्ताभर पहले ही पॉलिटिकल पार्टियों ने ‘बकरों’ की बुकिंग शुरू कर दी है. शिमला, सिरमौर, कुल्लू, किन्नौर, लाहौल-स्पीति और चंबा में भेड़ पालकों को बकरों के लिए एडवांस ऑर्डर मिलने शुरू हो गए हैं.
प्रदेश में चुनाव परिणाम के बाद बकरों की शामत
पहाड़ों पर चुनाव जीतने के बाद होने वाली दावतों में बकरे का मीट परोसने की परंपरा है. इसलिए नेता अभी से बकरों का प्रबंध करने लगे हैं. खास बात यह है कि ज्यादातर जगहों पर बकरों का इंतजाम चुनाव जीतने वाले नेता नहीं, बल्कि उनके समर्थक करते हैं और जो बकरे को गिफ्ट के तौर पर पेश करते हैं.
ठंडे इलाकों में मीट की ज्यादा डिमांड
पहाड़ी क्षेत्रों खासकर ठंडे इलाकों में सर्दियों में मीट की दावत आम बात है. सर्दियों में कई क्षेत्रों में लोग स्पेशल मेहमान को मीट की धाम के लिए आमंत्रित करते हैं, लेकिन इस बार 8 दिसंबर का दिन खास रहने वाला है. इस दिन प्रदेश में आगामी 5 साल के लिए नई सरकार बनने का रास्ता साफ हो जाएगा.
100 बकरों का ऑर्डर मिला: रामलाल
रोहड़ू के चिड़गांव निवासी भेड़ पालक रामलाल ने अमर उजाला अखबार को बताया कि 100 बकरों की एडवांस बुकिंग का ऑर्डर उन्हें सप्ताह पहले मिल गया है. उन्होंने बताया कि क्षेत्र के दूसरे भेड़ पालकों के पास भी बकरों की बुकिंग के ऑर्डर आ रहे हैं, क्योंकि पहाड़ों पर खुशी के अवसर पर लोग मीट की ‘धाम’ परोसते हैं.
हिमाचल के किन क्षेत्रों में मीट की धाम का रिवाज?
शिमला जिला के रोहड़ू, चिड़गांव, जुब्बल कोटखाई, मत्याना, कुमारसैन, रामपुर, किन्नौर, लाहौल स्पीति, चंबा के पांगी-भरमौर, कुल्लू और सिरमौर के कई क्षेत्रों में खुशी के अवसर पर मीट की धाम परोसी जाती है.
जीत किसी की भी हो, बकरों की दावत जरूर बंटेगी
जाहिर है कि 8 दिसंबर को प्रदेश में काउंटिंग वाले दिन जीत जिस भी दल की होगी, बकरों की दावत जरूर बंटेगी. जिन नेताओं को जीत का पूरा भरोसा है, उन्होंने बकरों व मीट का एडवांस में ही प्रबंध करना शुरू कर दिया है, क्योंकि रिजल्ट वाले दिन मीट शॉप (झटका) पर निर्भर नहीं रहा जा सकता.