शिमला. शिमला में तीनों विधानसभा सीटों पर जीत का परचम लहराने वाली कांग्रेस की नजर अब शिमला नगर निगम चुनाव पर है. प्रदेश के बाद अब कांग्रेस नगर निगम शिमला में भी वापसी करने को बेताब है. चुनावी हवा इस समय कांग्रेस के साथ है, ऐसे में सरकार गठन के तुरंत बाद नगर निगम के चुनाव हो सकते हैं.
खबरों के अनुसार पार्टी के पूर्व पार्षदों को नगर निगम चुनाव के लिए भी तैयार होने के लिए कह दिया है. शिमला नगर निगम में इस समय 34 वार्ड हैं. इनमें 18 वार्ड शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र, 12 कसुम्पटी तो 4 शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में आते हैं. यह पहला मौका है जब तीनों ही विधानसभा क्षेत्रों में एक ही पार्टी के विधायक चुने गए हैं.
तीनों विधानसभा क्षेत्रों के ज्यादातर वार्डों में कांग्रेस को ही बढ़त मिली है. साल 2017 और 2012 के चुनावों में कसुम्पटी और शिमला ग्रामीण पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था तो शिमला शहर में भाजपा ने जीत हासिल की थी. शिमला शहर विस क्षेत्र में ही नगर निगम के सबसे ज्यादा 18 वार्ड आते हैं. ऐसे में जीत की चाबी भी इसी क्षेत्र से निकलती है.
2023 की शुरुआत में हो सकते हैं नगर निगम चुनाव
शिमला शहर में सुरेश भारद्वाज के विधायक रहते बीते चुनाव में भाजपा ने 18 में से 11 वार्डों में जीत हासिल की थी. कांग्रेस को सिर्फ 6 सीटें मिली थीं. अबकी बार यहां कांग्रेस के हरीश जनारथा विधायक होंगे. ऐसे में कांग्रेस शिमला ग्रामीण और कसुम्पटी के बाद शिमला शहर से भी ज्यादा सीटें जीतने का जोर लगाएगी. नए साल की शुरुआत में ही नगर निगम शिमला के चुनाव हो सकते हैं.
बीते चुनावों के समीकरण
नगर निगम शिमला के 2017 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने 34 में से सिर्फ 14 वार्डों में जीत हासिल की थी. भाजपा ने 17 सीटें जीती थीं. बहुमत के लिए पंथाघाटी वार्ड से जीते आजाद प्रत्याशी राकेश शर्मा का सहारा लिया था. हालांकि, बाद में कांग्रेस के पार्षद बिखर गए. कच्चीघाटी से पार्षद का चुनाव जीते संजय परमार बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे. इसी तरह जाखू वार्ड से पार्षद अर्चना धवन और सांगटी से मीरा शर्मा ने भी कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था.