बेंगलुरु. भारत के बेंगलुरु शहर में इस समय एशिया का सबसे बड़ा हवाई शो एरो इंडिया 2023 चल रहा है. जिसमें दुनियाभर की सैकड़ों कंपनियां हिस्सा ले रही है. एरो इंडिया में जिस देश की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह है अमेरिका. भारत दुनिया के सबसे बड़े हथियार खरीदार देशों में शामिल है लेकिन अमेरिका के फाइटर जेट से अब तक परहेज ही करता रहा है.
एरो इंडिया में अमेरिका और उसके फाइटर जेट की सबसे ज्यादा चर्चा
भारत ने अपने हवाई बेड़े में ज्यादातर पश्चिमी देशों के फाइटर जेट को शामिल किया है. हाल ही में भारत ने फ्रांस से 36 राफेल फाइटर जेट खरीदे थे. हालांकि भारत ने अभी तक एक भी अमेरिकी फाइटर जेट को नहीं खरीदा है. भारतीय वायुसेना अमेरिका के सिकोरस्की हेलिकॉप्टर, AH-64 अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टर और CH-47 चिनूक हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करती है. भारतीय वायुसेना C-130 हरक्यूलिस और C-17 ट्रांसपोर्ट विमान का भरपूर इस्तेमाल करती है. अमेरिका की चर्चित कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने तो F-21 नाम से भारत को ध्यान में रखकर एक अलग ही फाइटर जेट विकसित कर दिया है.
अमेरिकी वायुसेना की रीढ़ है ‘बोन’
एफ-35 के बाद अमेरिका ने अब मंगलवार को अपने B-1B लांसर बॉम्बर को बेंगलुरु भेजा है. इस बॉम्बर को बोन के नाम से भी जाना जाता है जो अमेरिका की वायुसेना परंपरागत हथियार ले जाने वाला सबसे बड़ा विमान है. यह अमेरिकी वायुसेना की लंबी दूरी तक वार करने वाली बॉम्बर फोर्स की रीढ़ समझा जाता है. यह बॉम्बर हर तरह के परंपरागत हथियार ले जा सकता है. ये अमेरिकी बॉम्बर एंडरसन एयर फोर्स बेस गुआम से उड़े थे. इससे पहले साल 2021 में भी अमेरिकी बी1 बी लासंर बॉम्बर येलेहंका एयरबेस के ऊपर से उड़ा था.
भारत सबसे बड़े हथियार खरीदार देशों में शामिल
अमेरिका ने कहा कि एरो इंडिया 2023 में अमेरिका के महाविनाशक बॉम्बर का पहुंचना इस बात को दर्शाता है कि भारत के साथ अमेरिका की रणनीतिक भागीदारी कितना महत्वपूर्ण है. बी1 बी बॉम्बर लंबी दूरी तक सुपरसोनिक रफ्तार से वार करने वाला बॉम्बर है. कई घंटे की लगातार उड़ान के बाद यह भारत पहुंचा है. अमेरिका ने इस बॉम्बर और एफ-35 फाइटर जेट को भेजकर चीन से लेकर रूस तक को भी बड़ा संदेश दिया है. अमेरिका ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागिरी पर लगाम लगाने के लिए इन बॉम्बर की गुआम में तैनाती की है.
आखिर भारत क्यों नहीं खरीदना चाहता अमेरिकी प्लेन?
अमेरिका इसके जरिए रूस को भी संदेश दे रहा है जो भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझीदार है. माना जा रहा है कि अमेरिका अपने फाइटर जेट भारत को बेचना चाहता है. अमेरिकी फाइटर एफ-18 इंडियन नेवी और एफ-35 वायुसेना की शान बन सकते हैं. हालांकि भारत अभी इसे खरीदेगा या नहीं, इसको लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है. विश्लेषकों के मुताबिक भारत अमेरिका के सख्त नियमों और पाकिस्तान को एफ-16 फाइटर जेट देने के कारण इससे बचता रहा है. यही नहीं भारत अमेरिका पर भरोसा भी नहीं करता है. असल में साल 1962 में चीन के साथ जंग के बीच भारत ने फाइटर जेट और अन्य हथियार मांगे थे. अमेरिका ने रेडार और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट दिया लेकिन फाइटर जेट देने से मना कर दिया. यही नहीं उसने पाकिस्तान को ठीक उसी समय F-104 स्टार फाइटर जेट दिए थे.