नई दिल्ली. सोवियत संघ के दो देशों रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के बीच जारी जंग को आज एक साल पूरा हो गया है. 24 फरवरी 2022 को शुरू हुए इस युद्ध में यूक्रेन की धरती पर आज भी मिसाइलों की ताबड़तोड़ बरसात आज भी देखने को मिल रही है. इसके साथ ही माना जा रहा है कि दोनों देशों में पिछले एक साल से जारी युद्ध में मरवे वालों की संख्या लगभग 3 लाख के करीब है. हालांकि रूस इसे युद्ध न बताकर एक “विशेष सैन्य अभियान” बता रहा है.
रूस-युक्रेन युद्ध में कब क्या हुआ?
24 फरवरी 2022 को, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश पर रूस की सेना ने उत्तर, पूर्व और दक्षिण से यूक्रेन पर हमला करना शुरू किया. पुतिन का कहना था कि “विशेष सैन्य अभियान” का लक्ष्य जातीय रूसियों की रक्षा करना के साथ-साथ, यूक्रेन की नाटो सदस्यता को भी रोकना है और इसे रूस के “प्रभाव क्षेत्र” में रखना है. वहीं, दूसरी ओर यूक्रेन और पश्चिमी देशों का कहना है कि यह एक लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार और एक यहूदी राष्ट्रपति के साथ एक देश के खिलाफ आक्रामकता का एक एवं अवैध कार्य है.
एक अनुमान के अनुसार अब तक यूक्रेन में 1,35,800 इमारतें नष्ट हो चुकी हैं, इनमें से 1,19,900 निजी घर और 15,700 के करीब अपार्टमेंट इमारतें हैं. इसके परिणामस्वरूप यक्रेन के 35 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो गए या फिर बेघर हो गए थे.
यूक्रेन के कितने हिस्से पर कब्जा कर पाया रूस?
24 फरवरी 2022 को लांच किए गए विशेष सैन्य अभियान के बाद से रूस अब तक यूक्रेन के मारियूपोल, दोनेत्स्क, खेरसॉन, लुहांस्क पर पूरी तरह से कब्जा कर चुका है. रूस ने माइकोलाइव और खारकीव पर भी कब्जा कर लिया था लेकिन बाद में यूक्रेनी सेना ने इन दोनों राज्यों पर वापस कब्जा किया. अभी भी कई राज्यों में रूस और यूक्रेन के बीच आक्रामक युद्ध जारी है.
और क्या कुछ हुआ?
2 मार्च 2022 को, रूसी सेना ने यूक्रेन के दक्षिणी शहर खेरसॉन पर नियंत्रण का दावा किया. इसके साथ ही रूस ने यूरोप के सबसे बड़े जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र (The Zaporizhzhia Nuclear Power Station) सहित पड़ोसी जापोरिज्जिया क्षेत्र के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया.
कई पश्चिमी देशों ने यूक्रेन में हथियार भेजे, जिसमें अमेरिका द्वारा आपूर्ति किए गए HIMARS रॉकेट लॉन्चर भी शामिल हैं जिनको लेकर खासी चर्चा रही.
30 जून 2022 को, रूसी सैनिकों ने ओडेसा (ODESA) के काला सागर बंदरगाह से दूर स्नेक द्वीप पर कब्जा किया.
1 जनवरी 2023 को, नए साल के कुछ ही क्षणों के बाद, माकिइवका शहर पर एक यूक्रेनी मिसाइल हमले से हाल ही में जुटे रूसी सैनिकों की मौत हो गई. रूस के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि 89 सैनिक मारे गए, जबकि यूक्रेन के अधिकारियों ने मरने वालों की संख्या सैकड़ों में बताई है.
अन्य देशों पर भी पड़ी मार
रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के कुछ दिन बाद ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में वस्तुओं की कीमतों में भारी उछाल आया, कच्चा तेल तो 140 डॉलर प्रति बैरल के करीब जा पहुंचा था जो 2008 के बाद से कच्चे तेल के दामों का सबसे ऊंचा स्तर था. इसके अलावा गैस के दामों से लेकर स्टील, एल्युमिनियम, निकेल से लेकर सभी कमोडिटी के दाम आसमान छूने लगे. इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिला जिससे वैश्विक महंगाई आसमान छूने लगी. अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिये जिससे रूस को आर्थिक तौर से नुकसान पहुंचाया जा सके.