किन्नौर(रारंग व जंगी). हिमालय वन अनुसंधान संस्थान शिमला द्वारा जिला किन्नौर के रारंग व जंगी में चिलगोजा प्रजाति के सरंक्षण के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें ग्राम पंचायत रारंग व जंगी के लगभग 80 किसानों तथा बागवानों ने भाग लिया.
इस अवसर पर डॉ. स्वर्ण लता वैज्ञानिक हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला ने मुख्य अतिथि किशन सिंह मुख्य महाप्रबंधक राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक , पारस राम जिला विकास प्रबंधक राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ,कुलदीप चंद सहायक महाप्रंधक ,डॉ पवन राणा वैज्ञानिक ,रेखा नेगी प्रधान ग्राम पंचायत रिस्पा तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले रहे किसानों एवं बागवानों का अभिनन्दन एवं स्वागत किया.
शिविर में डॉ. स्वर्ण लता ने कहा कि जिला किन्नौर में चिलगोजा सामाजिक एवं आर्थिक रूप से एक महत्वपूर्ण वृक्ष है. यह किन्नौर के लोगों की आय का मुख्य स्त्रोत होने के साथ साथ उनके आहार एवं रीति-रिवाजों का भी अभिन्न अंग है. परन्तु चिलगोजा शंकुओं को एकत्रित करने के लिए की जाने वाली शाखाओं की अवैज्ञानिक तरीके से कटाई आज किन्नौर वन क्षेत्र की बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है. इन वृक्षों से चिलगोजा शंकुओं को एकत्रित करने के लिए शाखाओं की अनियंत्रित कटाई से न केवल इसका पुनर्जनन कम हो रहा है, बल्कि शंकुओं के उत्पादन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है.
उन्होने यह भी कहा कि अनियंत्रित कटाई से उत्पन्न समस्या के दूरगामी परिणामों से अधिकतर लोग परिचित नही हैं. यदि यह स्थिति यथावत बनी रही तो वह दिन दूर नहीं जब यह वृक्ष इस क्षेत्र से लुप्त होने के कगार पर आ जाएगा और लोग इससे होने वाले लाभ से वंचित हो जाएँगे. इसलिए इस समस्या के दृष्टिगत हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान ने चिलगोजा के संरक्षण के लिए इस जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से लोगो को जागरूक करने की पहल की है.
इसके अतिरिक्त मुख्य अतिथि किशन सिंह मुख्य महाप्रबंधक राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि चिलगोजा किन्नौर क्षेत्र में पाया जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण वृक्ष है तथा इसका किन्नौर क्षेत्र के निवासियों की आर्थिकी में महत्वपूर्ण योगदान है.
उन्होंने यह भी कहा कि बैंक अपनी ओर से अपनी योजनाओं के माध्यम से किसानों तथा बागवानों की सहायता करने के लिए तत्पर रहता है एवं ग्रामीण विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है.
उन्हें आशा है कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से जिला किन्नौर के किसान तथा बागवान निश्चित ही लाभान्वित होंगे तथा वैज्ञानिक विधि से चिलगोजा प्रजाति का दोहन करेंगे, जिससे यह पौधा तथा इसके जंगल भविष्य में भी विद्यमान रहेंगे. उन्होंने हिमालयन वन अनुसंधान संस्थानए शिमला के इस पहल कि सराहना की और कहा कि भविष्य में भी बैंक इस तरह के प्रयास में अपना योगदान करता रहेगा.