सिरमौर(शिलाई). ग्राम पंचायत शिलाई के अंतर्गत जल रक्षक भर्ती में विभागीय अधिकारियों पर मनमर्जी से रिजल्ट बदलने के संगीन आरोप लगे हैं. रातों रात बदले परीक्षा परिणाम से पूरे उपमंडल में विभागीय कार्यप्रणाली को लेकर चर्चा है. हालांकि विभाग ने गड़बड़ी के आरोप लगने के बाद परिणाम प्रकाशित नहीं किया है. लेकिन विभाग व अधिकारी सवालों के घेरे मे आ गए हैं.
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत शिलाई में जल रक्षक के एक पद को भरने के लिए सिंचाई एवं स्वास्थ्य विभाग ने आवेदन मांगे थे. जिसमें कुल 12 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया. दसवीं कक्षा की मेरीट के अनुसार यह पद भरा जाना था जबकि विकलांगता, बीपीएल, आईआरडीपी, विधवा, बेरोजगार प्रमाण पत्र, भूमिहीन व 40 हजार से कम आय प्रमाण पत्र के अतिरिक्त नंबर जोड़े जाने थे.
२7 सितम्बर को अधिकारी व पंचायत प्रधान के समक्ष कागजात की स्क्रीनिंग के बाद कपिल को पहला व नरेंदर को दूसरा स्थान मिला था. औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद 29 सितम्बर को रिजल्ट घोषित होना था. लेकिन बाद में नरेंदर सुपुत्र दुला राम को नियुक्त कर दिया गया.
अभ्यर्थी कपिल तोमर, अमित, बलबीर, भवान सिंह, सुनील कुमार, कोश्यल्या, मनोज, बंसी राम,अजय ने बताया कि विभाग के अधिकारियों ने रातों-रात रिजल्ट बदल दिया है. स्क्रीनिंग के अनुसार रिजल्ट नहीं बनाया गया है. अधिकारियों ने अपनी मर्जी से रिजल्ट में फेरबदल किया है. उन्होंने बताया कि इस पद पर दोबारा से आवेदन मांगे जाएं तथा हमें भी सभी कागजात लगाने का मौका दिया जाये.
ग्राम पंचायत प्रधान शिलाई देवेन्द्र धीमान ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि स्क्रीनिंग मे कपिल पहले नंबर पर था लेकिन विभाग ने नरेंदर को पहला स्थान दिया है.
जब इस बारे मे सहायक अभियंता से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि नरेंदर ने स्क्रीनिंग के बाद भूमिहीन का प्रमाण-पत्र दिया है.
उधर इस सम्बन्ध मे विभागीय सहायक अभियंता नितिन चिनोरी ने बताया है कि नरेंदर ने अभ्यर्थियों के कागजात की स्क्रीनिंग होने के बाद भूमिहीन प्रमाण-पत्र दिया है जिसमें एक हेक्टेयर से कम भूमि दर्शाई गई है. जल रक्षक का रिजल्ट आउट नहीं किया गया है. मामले को लेकर उच्च अधिकारियों को लिखा गया है कि स्क्रीनिंग होने के बाद लिए गए प्रमाण पत्र मान्य होंगे या नहीं, उसके बाद ही पद पर नियुक्ति दी जाएगी.
प्रदेश सरकार के नियमों के अनुसार किसी भी पद के लिए स्क्रीनिंग होने के बाद दिये गये दूसरे प्रमाण पत्र पर विचार नहींं किया जाता है.