नई दिल्ली. मानसून खत्म हो चुका है. इस बार मानसून में औसत से कम वर्षा हुई है. वहीं इस दरम्यान कुछ इलाकों में खूब बारिश हुई. वहीं, कई इलाकों में सूखे जैसे हालात भी पैदा हुये. देश के कई हिस्सों में बाढ़ से फसल बर्बाद हुये हैं और कम वर्षा की वजह से उत्पादन भी प्रभावित हुये हैं.
असम सहित पूर्वोत्तर के कई राज्यों, राजस्थान, बिहार, गुजरात और उत्तर प्रदेश में बाढ़ से भारी तबाही हुई और फसल बर्बाद हो गये. इसमें मानसून का भी योगदान रहा. इन इलाकों में काफी बारिश हुई है. वहींं, देश के कई हिस्सोंं में अपेक्षाकृत कम बारिश हुई है. मौसम विभाग ने जून महीने में औसत से अधिक वर्षा होने की उम्मीद जतायी थी. जबकि अनुमान के मुताबिक वर्षा कम हुई है. वहीं आखिर के तीन महीने में 12 फीसदी गिरावट दर्ज की गई.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य से कम रहने की वजह से देश के कुछ हिस्सों में कृषि क्षेत्र पर इसका असर पड़ सकता है.
इस बार मानसून दीर्घावधि (एलपीए) के औसत का 95 फीसदी था, जो सामान्य से कम है. एलपीए के 96-104 फीसदी तक बारिश को सामान्य बारिश माना जाता है. मौसम विभाग ने अपने संशोधित अनुमान में 98 फीसदी वर्षा होने की उम्मीद जतायी थी. 1 जून से 30 सितंबर को मानसून के आने का वक्त माना जाता है.