कांगड़ा(जय सिंहपुर). एक तरफ जहां प्रदेश सरकार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें देने का राग अलापते नहीं थकती वहीं दूसरी ओर प्रदेश में कई ऐसे स्वास्थ्य संस्थान भी हैं जहां लोगों को दिखाने के लिए नागरिक चिकित्सालय लिख दिया गया है। लेकिन धरातल की सच्चाई कुछ और ही बयान करती है.
दर्जनों पंचायतों के स्वास्थ्य का ज़िम्मा संभाले हुए नागरिक चिकित्सालय जयसिंहपुर में बुधवार को किसी भी डॉक्टर का न होना इस बात को दर्शाता है कि लोग यहां पर अपने आप को कितना स्वास्थ महसूस करते हैं. जब नागरिक चिकित्सालय जयसिंहपुर का दौरा किया गया तो अस्पताल में मरीजों कि लाइन लगी हुई थी. लेकिन उनको देखने के लिए कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था.
प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अपने दौरे के दौरान अस्पताल का दर्जा बढ़ा कर 100 बिस्तरों का कर दिया था और बेहतर स्वस्थ्य सुविधायें देने का वायदा भी किया था. लेकिन वायदा पूरा करना तो दूर कुछ समय बाद अस्पताल का घटाकर 50 बिस्तर का कर दिया गया. जोकि क्षेत्र के लोगों के साथ मजाक के सिवा कुछ नहीं.
लोगों का कहना है कि जयसिंहपुर अस्पताल से उनका विश्वास उठ गया है हालांकि दूर-दूर से लोग इलाज़ करवाने यहां आते हैं. लेकिन स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने के कारण निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है जहां समय के साथ-साथ उनके धन की भी बर्बादी होती है और कई बार तो जान पर भी जोखिम बन जाता है.
क्षेत्र के समस्त लोगों , विभिन्न पंचायतों के प्रधानों, महिला मंडलों आदि ने मांग की है जयसिंहपुर अस्पताल मे स्थाई तौर पर 24 घंटे डॉक्टर मुहैया करवाया जाए ताकि लोगों को बेहतर स्वस्थ स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके. अस्पताल में डॉक्टर न होने बारे में जब डॉ मुनीश राणा से बात की गई तो उनका कहना था कि थुरल में मीटिंग होने के कारण डॉ ऋचा की ड्यूटी एमरजेंसी में लगाई गई थी.
इस बारे में जब डॉ ऋचा से बात की गई तो उनका कहना था कि केवल एमरजेंसी मरीज ही देखने के ऊपर से आदेश थे. इस बारे जब बी एम ओ से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होने शायद फोन रिसीव करना उचित नहीं समझा. इस बारे में जब सीएमओ आरव सी राणा से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि इस बारे में उनको कोई जानकारी नहीं है.