कुल्लू. आचार संहिता लगने के बावजूद हिमाचल पर्यटन निगम ने रातों-रात अपने कुछ चहीते कर्मचारियों को पदोन्नत कर दिया है जबकि आचार संहिता लगने के बाद किसी भी तरह के सरकारी काम नहीं किये जा सकते हैं. ऐसे आरोप लगाये जा रहे हैं कि पर्यटन निगम केवल 2 व्यक्तियों के कहने पर चल रहा है. कन्ट्रोलर और प्रशासनिक अधिकारी ग्रेड टू सुप्रिटेंड मुकेश ने पहले भी 24 से 25 लोगों को अपग्रेड किया था. जिस का केस वो पहले भी हार चुके हैं. फिर भी इस व्यक्ति को सीनियर मैनेजर बनाया गया, वो भी आचार सहिंता लगने के बाद.
ऐसी क्या नौबत आ गयी थी कि मेट्रिक पास व्यक्ति को पदोन्नत किया गया. चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की पदोन्नति के लिये टेस्ट देना पड़ता है, जबकि बिना टेस्ट के इनको पदोन्नति दे दी गयी. पर्यटन निगम के कर्मचारियों को न तो ग्रेड पे दिया गया न ही कोई और लाभ दिया गया. कुछ कर्मचारी तो 20-25 साल से एक ही पद पर हैं, जब उन्हें पदोन्नति नहीं मिली तो इस एक कर्मचारी पर इतनी मेहरबानी क्यों की जा रही है?
पहले तो वित्तीय लाभ दिये गये और अब पदोन्नति, जबकि पुराना केस पहले से ही माननीय उच्च न्यायालय में अधूरा पड़ा हुआ है. इन दोनों अधिकारी के कार्यकाल के समय 250 से अधिक केस कोर्ट में पेंडिंग पड़े हैं. निगम के ड्राइवर जिन्होने कोर्ट में केस किया था उसे जीतने के बाद 32 लाख की भरपाई निगम को भरनी पड़ी थी. तब क्या सोच कर पर्यटन निगम ऐसे अधिकारियों को पदोन्नति दे रहा है. पर्यटन निगम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डाबेराम चौहान ने चुनाव आयोग से मांग की है कि यह भर्ती रद्द की जाये, क्योंकि चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी है.