हमीरपुर (भोरंज). भोरंज की विभिन्न पंचायतों में बंदरों का आतंक दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. बुजुर्ग बताते हैं कि कोई जमाना था कि भोरंज के किसी भी गांव में कोई भी बंदर नहीं होता था, लेकिन आठ-नौ वर्ष पहले रात के समय कोई गाड़ी में भरकर बंदर इस क्षेत्र में छोड़ गया, जिससे क्षेत्रवासियों का जीना बेहाल हो गया.
फसल को बर्बाद करते देते हैं
उत्पाती बंदर पूरी फसल को भी बर्बाद कर देते हैं, जिस कारण किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है. उत्पाती बंदर दिनभर गांव की गलियों, मकान की छतों पर डेरा डाले रहते हैं. ऐसे में लोगों का गलियों से निकलना व छतों पर चढ़ना मुश्किल हो रहा है. बावजूद इसके प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा.
बंदरों ने इन गावों में फैला रखा है आतंक
बंदरों से गांव हनोह, बड़ोह, धमरोल, डाडु, दयोग, जौह, करयाली, बडैहर, पपलाह, चंबोह, गरसाहड़, साही, फकडूही, जडोह इत्यादि में अकसर इन 18-20 बंदरों को झुंड में उत्पात मचाते देखा जा सकता है. लोगों का कहना है कि उत्पाती बंदर छत पर सूखने डाले कपड़े फाड़ने व खान-पीने की सामग्री हाथों से झपटकर ले जाते हैं. बंदरों ने कई लोगों को काट कर घायल भी कर दिया है.
बच्चों का खेलना बंद
आने-जाने वाले राहगीरों पर अचानक धावा बोलते हैं. उत्पाती बंदरों के कारण बच्चों का गलियों में खेलना तक बंद हो गया है. लोगों ने बंदरों से बचाव के चलते हजारों खर्च कर अपने मकानों में लोहे की जालियां लगवाई हैं। ऐसे में लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. उपमंडलवासियों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द बंदरों को पकड़वाया जाए, ताकि लोगों में भय का माहौल पैदा न हो.