शिमला (रामपुर बुशहर). हिमाचल प्रदेश देवभूमि के अलावा सेब के राज्य के नाम से भी जाना जाता है. सेब की कई किस्मों का उत्पादन करने वाले हिमाचल में 35 सौ करोड़ की आर्थिकी अकेले सेब की है. इन दिनों विभिन्न किस्म के सेब की महक अंतरराष्ट्रीय लवी मेला में भी फैली हुई है. बागवानी विभाग द्वारा सजाई गई सेबों की प्रदर्शनी में एक से एक किस्म का सेब देखने को मिल रहा है. जबकि बिकने के लिए लगाया गया किन्नौरी सेब सबसे अलग है.
नाशोती में कॉन्फ्रेंस व स्टारकिंग में सेब की कई किस्मों के बारे में भी बताया जा रहा है. बागवानी विभाग से उद्यान प्रसार अधिकारी रविन्द्र मेहता ने बताया कि सुपर चीफ की किस्म नई आयी है यह सब चार से पांच हजार तक कि हाइट में पैदा ही सकता है. यह विदेशी किस्म है. जबकि स्पर, रॉयल, गेल गाला, फूजी किस्म भी नई है. उद्यान विभाग की ओर से लगाई गई इस प्रदर्शनी में आम लोग तो विभिन्न किस्म देख ही रहे हैं. साथ ही किसान बागवान भी इनके बारे में जान रहे हैं. बागवानों को प्रदर्शनी के माध्यम से मार्गदर्शन भी मिल रहा है कि किस सेब की किस्म को लगाने के लिए क्या-क्या किया जाए.
सेब की किस्म
स्पर
इसमें र्स्केटलेट स्पर, रलेट रेडविलोक्स जेरोमाईन और सुपर चीफ स्पर जैसी वेरायटी शामिल है. इसका पौधा तीन साल में फल देने लगता है. यह विदेशी किस्म है. यह थोड़ी सी दूरी पर लगाए जा सकते हैं. इसका रंग काफी चमकीला होता है. इसका रंग चटख लाल इसकी पहचान है. दाम 100 से 150 रुपए तक भी बिकता है. स्पर के नियमित सेवन से पाचन तंत्र को ठीक रहता है.
राॅयल
रॉयल इसे लंबे समय तक स्टोर रखा जा सकता है. इसका पौधा काफी मजबूत होता है. एक पेड़ 10 से 15 पेटियां दे देता है. हिमाचल में सबसे ज्यादा डिमांड रॉयल किस्म की है. लोअर बेल्ट में सबसे ज्यादा रॉयल ही होता है. हार्ट के मरीज के लिए यह रामबाण का काम करता है. नियमित एक सेब खाने से शुगर नहीं होती.
रेड फूजी
यह भी विदेशी किस्म है. इसका रंग हल्का पिंक होता है. इसकी ग्राफ्टिंग करनी काफी आसान होती है, जिससे यह जल्द कामयाब हो जाता है. यह किस्म ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ज्यादा पाई जाती है. इसमें विटामीन ए और सी होता है. जूसी फ्रूटी और अन्य तरह के जूस इससे तैयार होते हैं. जापान में इसके कई तरह के व्यजंन भी तैयार किए जाते हैं.
गेल गाला
अमेरिकी किस्म नंबर वन सेल्फ पॉली नाइजर मानी जाती है. बगीचे में इस किस्म के पौधों की संख्या ज्यादा होती है. पांच साल में पेड़ फल देने लगता है. गेल गाला इटली में भी काफी अधिक पाया जाता है. हिमाचल में भी इसके प्रयोग सफल रहे हैं.
यह सेहत के अच्छा माना जाता है, स्वाद बेहतर है. यह किस्म नियमित रूप से फल देती है, यानी रेगुलर क्रॉप बियरर है. गेल गाला का जूस पेट की बीमारियों से दूर रखता है.
गोल्डन स्पर
हल्का पीला और लाल रंग का इस सेब को लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है. इसका स्वाद खट्टा मीठा होता है. इसका छिलका देसी घी की तरह नजर है. सुपर चीफ, स्कारलेट स्पर टू, मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में आरगेन स्पर टू, ऐस स्पर, को-रेड फ्यूजी, एजटैक फ्यूजी रेड केन, ग्रेनी स्मिथ, वाशिंगटन स्पर, गोल्डन स्पर इसकी वेरायटी है. इसे लंबे समय तक बिना कोल्ड स्टोर के रख सकते है. इसका स्वाद रॉयल से काफी भिन्न और रसीला होता है. इसके छीलके को पीसकर खाने से कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है.