सोलन. सोलन के सरकारी क्षेत्रीय अस्पताल में रोगियों का इलाज नहीं बल्कि उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर उनकी जेबें काटने का धंधा जोरों शोरों से चल रहा है. इस बात का खुलासा तब हुआ जब सांस की बीमारी से पीड़ित रोगी सरकारी सिविल सप्लाई की दुकान से दवा लेकर घर पहुंचा.
जब वह घर गया तो उसने देखा कि दुका दार ने उसे जो दवा दी है वह जल्द एक्सपायर होने वाली है. इसलिए वह उस दवा जिसकी कीमत 174 रुपये है उसे वापस करने अस्पताल पहुंचा तो केमिस्ट ने उसे 175 वापिस करने की बजाए 250 रुपये वापिस किए तो उसने बिल की जांच की तो उसमें 174 की बजाए 252 रुपये में वो दवा बेचीं गई थी. तब रोगी पता चला कि उससे केमिस्ट ने धोखा किया है और उसे सस्ती दवा महंगी बेचीं गई है.
महंगी मिल रही है दवाई
इस पर ग्राहक संदीप रावत ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि सिविल सप्लाई की दुकान पर जहां दवा सस्ती मिलनी चाहिए वहां दवा महंगी मिल रही है. इस पर विभाग द्वारा सख्त कार्रवाई अम्ल में लाई जानी चाहिए. ताकि इस तरह की धांधली किसी और ग्राहक से न हो.
विवादित अस्पताल बनता जा रहा है
अस्पताल एक विवादित अस्पताल बनता जा रहा है. आए दिन यहां कोई न कोई विवाद खड़ा रहता है. अस्पताल में कभी चिकित्सकों की कमी तो कभी चिकित्सकों की लापरवाही से रोगी की मौत तो कभी स्टाफ का रोगियों से झगड़ा. लेकिन यहां ऐसा वाक्य सामने आया है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यह सोलन का सरकारी अस्पताल नहीं बल्कि कोई निजी व्यवसायिक अस्पताल बन चुका है. ऐसा नहीं कि यह केवल एक ग्राहक के साथ में हुआ है इस दुकान से और ग्राहकों को भी सिविल सप्लाई की दुकानों से चूना लगाने की बात सामने आ रही है .