भरूच/वडोदरा. वडोदरा के नंदेसरी से लेकर भरूच के सारोद तक कारखानों से निकले प्रदूषित जल को खंभात की खाड़ी तक पहुंचाने के लिये चैनल बनाया गया है. नदेसरी से लेकर सारोद तक कई कारखानों हैं जिससे निकला कचरा इसमें बहाया जाता है. 56 किलोमीटर लंबे इस चैनल के दोनों तरफ 16 गांव हैं, जहां का भूमिगत जल प्रदूषित हो चुका है. गुजरात पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड(जीपीसीबी) इसको लेकर अपनी रिपोर्ट भी जारी कर चुकी है.
प्रदूषण के शिकार बने गांव के लोगों को खरीद कर पानी पीना पड़ता है. वहीं, सिंचाई और पशुओं को प्रदूषित भूमिगत जल पिलाना किसानों की मजबूरी है. पर्यावरण सुरक्षा समिति के सदस्य कृष्ण कांत चौहान कहते हैं,”गांव के लोग पशुओं और खेती के लिये इन्ही प्रदूषित भूमिगत जल का उपयोग करते हैं जो इनके आहार चक्र में शामिल होकर धीरे-धीरे सभी को बीमार बना रहा है. लेकिन किसी का ध्यान इधर नहीं है.”
प्रदूषण से फसलों का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है. खेडुत समाज के दक्षिण गुजरात के अध्यक्ष जयेश पटेल कहते हैं, “40 साल पहले एक एकड़ में 40 टन ईंख होता था अब उपज घटकर 24 टन रह गया है.”
प्रदूषण की समस्या सूरत के सचिन, किम, वलसाड, अंकलेश्वर और वापी में भी है. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कारखानों को अपने यहां से निकलने वाले प्रदूषित पानी को उपचारित करने के बाद ही नदियों और नहरों में छोड़ना है.