शिमला. हिमाचल में कई कद्दावर नेता धराशायी हुए है. लंबे समय से जो नेता जीतते आ रहे थे जनता ने उन्हें इन चुनाव में आइना दिखा दिया है. फिर चाहे भाजपा हो या कांग्रेस दोनों राजनीतिक दलों के शीर्ष के नेताओं को जनता ने पटखनी दी है.
भाजपा भले ही जीती लेकिन मुख्यमंत्री के दावेदार प्रेम कुमार धूमल तो हारे ही, संगठन की कमान संभाल रहे उना सदर के प्रत्याशी सतपाल सिंह सत्ती भी अपनी लाज नहीं बचा पाए. बहुमत से प्रदेश में जीत दर्ज करने वाली भाजपा के लिए दो कड़वे घूंट ही काफी नहीं थे. बल्कि देहरा से पूर्व आईपीएच मंत्री व निवर्तमान विधायक रविंद्र रवि, कुल्लू से महेश्वर सिंह का हारना भी किसी सदमे से कम नहीं है.
उधर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के संबधी जो जोगिंद्रनगर से प्रत्याशी थे उन्हें भी मुंह की खानी पड़ी है, अनुराग ठाकुर के ससुर जो अब तक इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए हुए थे एक निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश राणा ने उनको भी किनारे लगा दिया है. जबकि भाजपा के ही राज्य प्रवक्ता नैनादेवी में कांग्रेस प्रत्याशी रामलाल के आगे नहीं टिक पाए.
कांग्रेस की यदि बात करें तो कैबिनेट मंत्री भी दौड़ से बाहर हो गए है. फिर चाहे मंडी द्रंग विधानसभा क्षेत्र से स्वास्थ्य एवं राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर हो या फिर मंडी बल्ह से आबकारी मंत्री प्रकाश चौधरी हार का मुंह देखना पड़ा है. यही नहीं कांग्रेस के युवा मंत्री व धर्मशाला को स्मार्ट सिटी बनाने का तमगा लेने के बावजूद शहरी विकास मंत्री जनता का मन नहीं जीत पाए, नतीजतन विरोधी प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा है.
वहीं अपने डांस व गाने को लेकर चर्चा में रहने वाले वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी को चंबा जिला के भरमौर विधानसभा क्षेत्र में पटखनी मिली है. कांग्रेस सरकार के दौरान वीरभद्र से अकसर नोंकझोंक कर चर्चा बटौरने वाले परिवहन मंत्री जीएस बाली को भी नगरोटा बगवां में जनता का प्यार नहीं मिला है. बाली की यदि बात करें तो चुनाव से ठीक पहले भाजपा में जाने को लेकर चर्चा में रहे थे.
पांच साल बाद परिवर्तन परंपरा- मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का कहना है कि भाजपा जीती है इसमें कोई बड़ी बात नहीं है. हिमाचल की परंपरा रही है कि पांच साल कांग्रेस व पांच साल भाजपा का राज रहता है. पिछली दफा हम लोग जीते थे इस बार भाजपा, अगली बार फिर हम जीत जाएंगे.
रो पड़े थे धूमल…
हाइकमान द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का चुनावी क्षेत्र हमीरपुर से सुजानपुर बदलने पर उनके आंखों से आंसू छलक गए थे. उस समय वह अपने आंसूओं को भरी जनसभा के बीच भी रोक नहीं पाए. उनका दर्द बाहर निकल कर आया लेकिन उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि यह हमारे स्तर की बात नहीं है, जो करना है हाइकमान को करना है.