नई दिल्ली. ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी जमीन पर बिना वैध कब्जे के रह रहे लोगों को झारखंड सरकार अब जमीन का मालिकाना अधिकार देगी. मंगलवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में प्रत्येक परिवार को आवास के लिये 12.5 डिसमिल जमीन और कृषि के लिये पांच एकड़ तक की जमीन पर मालिकाना अधिकार देने का निर्णय लिया गया है.
मालूम हो कि राज्य के 33 हजार गांवों में सर्वे हुआ था. सर्वे में पता चला कि 2.1 लाख परिवारों का 6.48 लाख एकड़ भू-खंड पर कब्जा है. नये फैसले में एससी, एसटी और ओबीसी के साथ-साथ सामान्य वर्ग और दिव्यांगों को भी सरकार ने योजना में शामिल किया है.
नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि सरकारी भूमि पर अनियमित रहने वाले लोगों के साथ-साथ अर्द्धसैनिक बलों एवं राज्य पुलिस के शहीद जवानों को भी शामिल किया गया है. पहले केवल सैनिकों को ही इसका लाभ मिलता था. सैनिकों के लिये भी ग्रामीण क्षेत्र में 5 एकड़ कृषि योग्य भूखंड और 12.5 डिसमिल आवासीय भूखंड मुहैया करवाने का प्रावधान होगा.
पूर्वी पाकिस्तान और म्यांमार के शरणार्थियों को ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी जमीन पर मालिकाना अधिकार दिया जायेगा. हालांकि सरकारी भूखंड पर 1985 के पहले से रहने वाले लोगों को ही मालिकाना अधिकार मिलेगा.
इसके अलावे ग्रामीण अथवा शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक भूखंडों जैसे कि सार्वजनिक सड़क, मसना, नदी, पहाड़ आदि भूखंडों के कब्जाधारियों को योजना का लाभ नहीं मिल पायेगा. योजना में सरकारी सेवा में शामिल लोगों, सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त लोगों और आयकर दाताओं को मालिकाना अधिकार नहीं दिया जायेगा. सरकारी दफ्तरों जैसे कि थाना, स्कूल अस्पताल और राजपथ के इर्द-गिर्द 150 मीटर तक अवैध कब्जे को नियमित नहीं किया जायेगा.