रांची. निजीकरण की खबरों और यूनियन के विरोध के बीच एचइसी ने केन्द्र सरकार से 2300 करोड़ रुपये के पुनर्वास पैकेज की मांग की है. हाल में एचइसी में किए गए बदलाव से अवगत कराने और मांगों को रखने के लिए एचईसी के सीएमडी अविजीत घोष दिल्ली रवाना हो रहे हैं. वे भारी उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों से अपनी बात रखेंगे.
अबतक राहत पैकेज की मांग होती थी लेकिन इसबार सरकार से पुर्नवास पैकेज की मांग की गई है. इनमें मशीनों के आधुनिकीकरण के लिए 1260 करोड़ खर्च किए जाएंगे. इस बीच विनिवेश, निजीकरण और अन्य मांगों को लेकर यूनियन हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन, हटिया कामगार यूनियन सहित एचईसी के पांचो यूनियन की भी बैठक हो रही है.
मामले में नागरिक परिषद के मुख्य संयोजक कैलाश यादव का कहना है कि एचईसी कर्मचारियों एव नगर परिसर में रहने वाले लाखो लोगों के बीच एचईसी को विनिवेश करने की खबर को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. केद्र में जबसे नरेद्र मोदी की सरकार बनी है, देश मे मजदूरो, किसानो एव नवजवानो की स्थिति दिन पर दिन खराब हो गई है. मोदी सरकार ने सोची समझी साजिश के तहत कुछ गिने-चुने उद्योगपतियो को फायदा पहुंचाने का काम कर रही है. सरकार गलत नीतियां अपना कर देश मे समुचित औद्योगिक घरानो की हालात को जानबूझकर बीमार बना दिया. एचईसी को विनिवेश मे धकेलने का मुख्य मकसद राजधानी राची स्थित एचईसी क्षेत्र मे स्मार्ट सिटी का निर्माण करना है.
एचईसी सप्लाई मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिलीप सिंह ने कहा कि जबतक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती विनिवेश और निजीकरण का विरोध जारी रहेगा. समिति के महामंत्री जाबिर हुसैन ने एचइसी का विनिवेश और निजीकरण को राजनीतिक प्रोपगैंडा करार दिया है.
समिति की बैठक में एचईसी को निजी हाथों में सौपने का विरोध के साथ-साथ समान वेतन, ग्रेच्यूटी, आंतरिक बहाली और आरटी/32/2015 को रद्द कराने की मांग भी की गई है.