हिमाचल में बीते दिनों गुड़िया गैंग रेप हत्याकांड के बाद लोगों में सरकार के लिये गुस्सा चरम पर दिखा। पूरे प्रदेश में लोग महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के लिये चिंतित नज़र आये। उन्होने सड़कों पर प्रदर्शन कर हिमाचल सरकार को पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने के लिये मजबूर कर दिया। अब यह मामला केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच, सीबीआई जांच पर अटक गया है। हालात के इतने दयनीय होने से पहले राज्य में मौजूद संस्थायें, त्वरित हस्तक्षेप कर लोगों को सड़कों पर उतरने से रोक सकती थीं। राज्य महिला आयोग भी इस मामले में उल्लेखनीय भूमिका निभा सकता था।
आइये जानते हैं हिमाचल राज्य महिला आयोग के बारे में……….
समाज में महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए साल 1990 में, राज्य महिला आयोग एक्ट बनाया गया था. इस एक्ट का उद्देश्य, राज्य में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार और भेदभाव को रोकना है. आयोग का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा करने वाले संवैधानिक अधिकार और कानून के प्रावधान का अध्यनन करना है. साथ ही लगातार इसकी निगरानी कर समयानुसार जरुरी संशोधनों की सिफारिश करना भी है.
आयोग के गठन का मुख्य उद्देश्य, समाज में व्याप्त लैंगिक हिंसा के माहौल के बीच महिलाओं के अधिकार की सुरक्षा करना है. देश में महिलाओं की घटते अनुपात को बढ़ाने के लिए लोगों के बीच जागरूक बढ़ाना उनके मुद्दों को मुख्यधारा में लाना, इन्ही उद्देश्यों के लिये महिला आयोग का गठन किया गया था. इस कानून के द्वारा कोई भी महिला अपने ऊपर हुए अत्याचार की शिकायत महिला आयोग में कर सकती है. महिलाओं के बीच सामाजिक, कानूनी, संवैधानिक, स्वास्थ्य, आजीविका जागरूकता लाना भी इस आयोग का मूल उद्देश्य है. समाज में व्याप्त दहेज प्रथा की कुरीति के खिलाफ राज्य का महिला आयोग लगातार आवाज उठाता रहा है.
समाज के विभिन्न क्षेत्र से चुने हुए प्रतिनिधि आयोग के सदस्य बनाये जाते हैं. जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता, गैर–सरकारी संगठन के सदस्य, शिक्षा से जुड़े हुए लोगों और पर्यावरणविदों को शामिल कर आयोग का गठन किया जाता है. जिसमें अधिकतम पांच सदस्य हो सकते हैं. इन सदस्यों में एक अध्यक्ष और तीन से चार नामांकित सदस्य होते हैं जो सामाजिक कार्यकर्ता, गैर-सरकारी संगठन से जुड़े लोग, शिक्षाविद और पर्यावरणवविद् हो सकते हैं. केंद्र सरकार के द्वारा बनाया गया यह एक्ट देश में लगभग हर राज्य में लागू है. हर राज्य अपने यहां की विशेष जरूरतोंं के मुताबिक, कानून में थोड़े बहुत फेर-बदल कर इसे लागू करता है. हिमाचल प्रदेश भी इस कानून को अपने राज्य में साल 1996 में लागू कर चुका है.
अब हिमाचल की महिलाएं आयोग की वेबसाइट पर जाकर भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती हैं। साथ ही इसके माध्यम से वे अपने अधिकारों के बारे में घर बैठे जानकारी भी ले सकती हैं. महिलाओं के द्वारा दर्ज करवाई गई शिकायतों और उन्हे पेश आ रही दिक्कतों को, महिला आयोग राज्य और केंद्र सरकार के सामने रख कर उन्हे मुख्यधारा से जोड़े रखने का अहम काम करता है।