मंडी. शहीद तेंजिन छुटीन के शव को मात्र एक एम्बुलेंस के साथ उसके पैतृक गांव के लिए रवाना किया गया है. इस बात का पता उस वक्त चला जब शहीद का पार्थिव शरीर मंडी जिला से होता हुआ सेना के पंडोह स्थित ट्रांजिट कैंप में पहुंचा.
सिर्फ एक एम्बुलेंस के साथ पार्थिव शरीर को पठानकोट से लाहुल स्पिति के लिए रवाना किया गया था. यहां पर शहीद के पार्थिव शरीर को थोड़ी देर के लिए रखा गया जहां पर सेना के जवानों, पूर्व सैनिकोंऔर स्थानीय लोगों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी. पूर्व ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर यहां पर विशेषरूप से मौजूद रहे और शहीद को श्रद्धांजलि दी. उनके साथ कुछ स्थानीय लोगों ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी.
यहां से शहीद के पार्थिव शरीर को मनाली के लिए रवाना किया गया. पहले शहीद का पार्थिव शरीर हैलिकॉप्टर के माध्यम से भेजा जा रहा था. लेकिन मौसम खराब होने के कारण इसे सड़क मार्ग से भेजा गया. पंडोह में जब शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर एम्बुलेंस पहुंची तो उसमें सिर्फ एक चालक और सेना का एक प्रतिनिधि था.
बता दें कि पठानकोट से मनाली तक की दूरी 400 किलोमीटर से भी अधिक है. यदि रास्ते में कोई समस्या पेश आती है तो फिर दो व्यक्ति इससे कैसे निपटेंगे इसके बारे में किसी ने नहीं सोचा.
अमूमन शहीद के पार्थिव शरीर को सेना के एक दल के साथ उसके घर तक भेजा जाता है. लेकिन यह पहली घटना देखने को मिली जब शहीद के पार्थिव शरीर को सिर्फ दो लोगों के सहारे सैंकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके उसके घर भेजा जा रहा है. पंडोह ट्रांजिट कैंप से सेना की एक जिप्सी कुछ सैनिकों के साथ मनाली के लिए जरूर रवाना हुई, लेकिन पंडोह तक यह वाहन अकेला ही पहुंचा.
पूर्व ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर और सोच संस्था के अध्यक्ष राजा सिंह मल्होत्रा ने शहीदकी शहादत को नमन करते हुए पार्थिव शरीर को अकेले भेजने पर आपति जताई और सेनातथा सरकार से मांग उठाई कि भविष्य में इस बात का पूरा ध्यान रखा जाए.