मंडी. कुल्लू के रामशिला की माली देवी को क्या मालूम था कि कुल्लू के बस स्टैंड पर वह जिस बस का इंतजार कर रही है. वह बस कभी नहीं आने वाली है. माली देवी तीन वर्ष पहले एक सड़क हादसे में अपने पति को खो चुकी है.अब उनके जीने का सहारा उनकी दो बेटियां और एक बेटा ही था. चंबा की रहने वाली माली देवी कुल्लू में एलआईसी में जॉब करती थीं. उनकी दोनों बेटियां, मुस्कान-पलक और बेटा अरमान छुट्टियां मनाने चंबा अपने दादा-दादी के पास गए हुए थे.
यह बच्चे अपनी चाची गीता के साथ चंबा से मनाली जा रही एचआरटीसी की बस में वापिस अपनी मां के पास आ रहे थे. माली देवी कुल्लू बस स्टैंड पर अपने बच्चों को लेने खड़ी हुई थी. जब बस नहीं आई तो माली देवी ने पता किया तब उन्हे पता चला कि बस कोटरूपी के पास भूस्खलन की चपेट में आ गई है. यह सुनकर माली देवी के पैरों तले जमीन ही खिसक गई हो. माली देवी अपने रिश्तेदारों के साथ कोटरूपी पहुंचकर अपने जिगर के टुकड़ों का इंतजार कर रही है.
वहीं, दूसरी तरफ इस हादसे में अभी तक माली देवी के बच्चों का पता नहीं चल सका है और उनकी तलाश जारी है. इस हादसे ने माली देवी जैसे दर्जनों परिवारों को कभी न भूलने वाला गम दे दिया है. प्रदेश में पहली बार हुए इतने भीषण भूस्खलन ने कई परिवारों को बिखेर कर रख दिया है.