मंडी. कोटरूपी गांव का भूस्खलन, जिसमें अब तक 46 लोगों की जान चली गई है, वह इस जगह के लिए कोई नई बात नहीं है. लोगों के अनुसार हर 20 साल में इस समय यहाँ इस तरह की घटना होते रहती है. कोटरूपी गाँव के भूस्खलन के इतिहास पुराना है.
मंडी जिले के पधर उपमंडल की ग्राम पंचायत उरला का कोटरूपी गांव हर 20 वर्ष के बाद भूस्खलन की मार झेलता है. इस गांव के साथ लगती पहाड़ी हर 20 वर्ष के बाद यहां तबाही मचाती है. ग्रामीणों की मानें तो यहां वर्ष 1977 को भूस्खलन हुआ जिसमें भारी नुकसान हुआ.
उसके बाद फिर वर्ष 1997 को भूस्खलन हुआ जिसमें एक बच्चे की जान चली गयी थी. अब वर्ष 2017 को भूस्खलन हुआ है, और इसने ऐसी तबाही मचाई कि चारों तरफ मातम ही पसर गया है.
ग्रामीणों की मानें तो यह भूस्खलन होता भी 13 तारीख के नजदीक ही है. इस बार भी यह रात को उस वक्त हुआ जब 13 तारीख की शुरूआत हो चुकी थी. ग्रामीण आज तक ये समझ नहीं पाए हैं कि यह भूस्खलन क्यों होता है ?
पहाड़ी के जिस हिस्से पर भूस्खलन हुआ है, वहां पर पहली नजर में देखने पर ऐसा प्रतीत होता है, मानों भीतर कोई विस्फोट हुआ हो. बता दें कि मंडी-पठानकोट नेशनल हाईवे 154 पर मंडी से गुम्मा तक नमक की काफी खानें हैं. यहां से नमक निकलता है. कुछ ग्रामीण मानते हैं कि शायद इसी कारण भीतर कोई गैस बन रही है जो एक लंबे समय के बाद विस्फोट होकर भूस्खलन के रूप में सामने आ जाता है.
यहां पर पहले जो भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं, उनके बारे में प्रदेश के मुखिया को भी पूरी जानकारी है. सीएम वीरभद्र सिंह भी मानते हैं, कि अब यह इलाका आपदा प्रभावित हो चुका है. यहां हर 20 वर्ष के बाद होने वाले भूस्खलन को देखते हुए अब सरकार ने इन पहाड़ियों का जियोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों से सर्वे करवाने का निर्णय लिया है.
अब इस बात का पता तो जांच के बाद ही चल पाएगा, कि आखिर क्यों यहां पर हर 20 वर्षों के बाद ऐसा भूस्खलन हो रहा है? क्योंकि इस भूस्खलन के कारण जान-माल का नुकसान लगातार बढ़ता ही जा रहा है.