नई दिल्ली. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘सृजन एनजीओ घोटाले’ की जांच सीबीअाई से करवाने के निर्देश दिए हैं. गुरुवार को हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, गृह विभाग के मुख्य सचिव अामिर सुब्हानी, डीजीपी पी. ठाकुर से विमर्श के बाद नीतीश कुमार ने यह फैसला लिया. 16 अगस्त को बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर भागलपुर रेलवे स्टेशन पर धरना दिया था.
अब तक घोटाले की जांच पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई कर रही थी. मामले में भागलपुर के विभिन्न थानों में 9 केस दर्ज किए गए हैं. वहींं, पुलिस ने अबतक 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनमें, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, सृजन एनजीओ और सरकारी अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं. अबतक मुख्य आरोपी अमित कुमार और उनकी पत्नी प्रिया कुमारी को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई है. अमित कुमार सृजन की संस्थापिका मनोरमा देवी के पुत्र हैं. पुलिस ने आरोपी को विदेश भागने से रोकने के लिए एयरपोर्ट प्रशासन को नोटिस भेजा है.
मामला क्या है?
साल 2007 में संंस्था ने कॉपरेटिव बैंक खोला. आरोप है कि भागलपुर ट्रेजरी(सरकार) का पैसा यहां जमा किया जाता रहा है. पिछले कई सालों से कॉपरेटिव बैंक में जमा किया हुआ सरकारी धन को प्राइवेट जगहों पर लगाया जाता रहा है.
ताजे मामले में नगर विकास योजना के तहत 502 करोड़ की राशि बैंक में जमा की गई थी. सरकार के द्वारा इस राशि से भूमि अधिग्रहण किया जाना था. जबकि यह पूरी राशि गैर सरकारी संगठन सृजन महिला सहयोग समिति के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी गई. बाद में किसानों का चेक बाउंस होने पर यह मामला खुला. नियम यह भी है कि सरकारी पैसा सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में ही जमा होना चाहिए. जबकि इस मामले में भी नियमों को ताक पर रखा गया.
सृजन महिला सहयोग समिति क्या करती है?
गैर सरकारी संगठन ‘सृजन महिला सहयोग समिति’ 2003 में झारखंड से भागलपुर में स्थानांतरित हुआ. यह संस्था महिलाओं को प्रशिक्षण और रोजगार दिलाने का दावा करती है. साल 2003 में तत्कालीन जिलाधिकारी के द्वारा शहर के बीचो-बीच मात्र 200 रुपया मासिक किराये पर संस्था को जमीन दे दी गई. जहां इसने अपना मुख्यालय बना लिया.