हमीरपुर. शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसा शिक्षक, जिसने सेवानिवृति के बाद भी ज्ञान बांटना बंद नहीं किया. वह बिना पैसों के सालों से कन्या विद्यालय में नि:स्वार्थ सेवाएं दे रहा है. हमीरपुर के रत्न चंद राणा वैसे तो सरकारघाट के निवासी हैं. लेकिन सालों से हमीरपुर में ही रहकर इस कार्य को कर रहे हैं. सालों तक शिक्षा जगत में सेवाएं देने के बाद वह वर्ष 2008 में सेवानिवृत हुए.
रत्न चंद ने अपनी सेवानिवृति के बाद फैसला लिया कि जहां पर भी ज्ञान बांटने की जरूरत होगी, वह पीछे नहीं हटेंगे. इसी ध्येय से रत्न चंद राणा ने कन्या विद्यालय में रिक्त चल रहे संस्कृत विषय के अध्यापक की जगह पढ़ाना शुरू किया. जिसके परिणाम भी बेहतर आए हैं और छात्राओं ने सौ प्रतिशत अंकों के साथ परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं.
स्कूल में पढने वाली छात्राओं का कहना है कि जब से रत्न चंद राणा स्कूल में पढ़ा रहे हैं तबसे बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. वहीं रत्न चंद राणा ने बताया कि सेवानिवृति के बाद नि:शुल्क पढ़ाने के फैसले में परिवार भी साथ है. इस तरह पढ़ाकर संतुष्टि मिलती है क्योंकि ज्ञान जितना बांटेंगे उतना ही बढ़ेगा.
रत्न चंद राणा ने अध्यापक दिवस पर सभी अध्यापकों को संदेश दिया कि अध्यापक को चाहिए कि बच्चों को ऐसी शिक्षा दें कि बच्चे जीवन में कुछ कर सके. अध्यापक दिवस पर संकल्प लेना चाहिए कि अध्यापक अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वाहन करें.
कन्या विद्यालय हमीरपुर की प्रिंसfपल नीना का कहना है कि “स्कूल से बिना पैसे लिए ही रत्न चंद राणा पढ़ा रहे हैं. वह अच्छी शिक्षा दे रहे हैं और ऐसे अध्यापक की हर शिष्य को जरूरत है”