तापी. बाघपानी गांव में पेड़ों का बढ़ना रुक गया है. लोगों का कहना है कि ऐसा यहां चल रही स्टोन क्रशिंंग यूनिटों के कारण है. गांव की हरियाली पर धूल की मोटी परत जम गयी है. तीन कुओं में पानी नही है. पत्थर तोड़ने वाली यूनिट का शोर अभी-अभी कम हुआ है. गांव की हंसाबेन अब भी डरी हुई हैं. दो रोज पहले एक बार फिर उनके एस्बेस्टर के छत पर पत्थर गिरे थे.
हंसाबेन बताती हैं कि जब वे अपने भैंस के पास थी उसी समय पत्थर उनके छत को तोड़ता हुआ उनके बगल में गिरा. मामला पुलिस के पास है.
तापी जिले के इस गांव के आसपास स्टोन क्रसिंग की तीन यूनिटें चलती है. इन यूनिट में जमीन को तोड़कर पत्थर निकालने और उन्हें पीसने का काम होता है. ये यूनिट 10 साल से अधिक समय से चल रहे हैं.

फसल के उपज घटे
गांव में 600 लोग रहते हैं. सभी आदिवासी हैं. एक-दो मकानों को छोड़कर ज्यादातर मकान की छतें फूस और एस्बेस्टस की हैं. खेती और पशुपालन ग्रामीणों के जीवनयापन का मुख्य पेशा है. यहां के किसान खेती के लिये भूमिगत जल पर निर्भर हैं. स्वास्थ्य विभाग ने तीन कुओं के पानी को पीने के अयोग्य बता दिया है. गांव के लोग बगल में हो रही स्टोन क्रशिंग को इसका जिम्मेवार मानते हैं.
फसलों पर धूल जमने से की उपज प्रभावित हुई है. गांव के किसान जयराम गामित बताते हैं, “पिछले साल एक हेक्टेयर में 29 बोरी धान की उपज हुई थी, इस बार सिर्फ 17 बोरी फसल हुई है. ब्लास्ट के समय उड़ने वाले पत्थर खेतों में गिरने से फसल बर्बाद होती है. उड़ते धूल की वजह से आसपास के पेड़ का बढ़ना रुक गया है.”
तापी व्यारा विधानसभा क्षेत्र में आता है. यहां से कांग्रेस के पूना भाई गामित 2012 के विधानसभा चुनाव को जीता था. यह इलाका कांग्रेस का गढ़ रहा है. बाघपानी गांव के लोग अपने विधायक के काम से खुश नहीं हैं; वहीं ज्यादातर लोग मानते हैं कि भाजपा के शासन में उनकी उपेक्षा हुई हैं.
पंचायत सभ्य विजय भाई गामित कहते हैं, “माइनिंग रोकने को लेकर हमने कई जगह फरियाद लगाई है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला है, हमारे विधायक ने भी हमारी आवाज को ऊपर नहीं उठाया है, हम गांव के लोगों के साथ मिलकर वोट बहिष्कार करने की बात सोच रहे हैं.”
विकल्प की तलाश में जनता
ज्यादातर गांव के युवा 10 वीं पूरी करते-करते पढ़ाई छोड़ चुके हैं. युवाओं से उनका पेशा पूछने पर जवाब“कुछ भी नहीं” मिलता है. 10वीं तक पढ़े एक युवा अनित गामित कहते हैं;“भाजपा और कांग्रेस किसी ने भी हमारे लिये काम नहीं किया है, लेकिन हमारे पास विकल्पों की कमी नहीं है, हम किसी तीसरे को चुनेंगे लेकिन वोट बहिष्कार नहीं करेंगे.”
गांव के प्राथमिक शाला में 18 बच्चों को पढ़ाने के लिये दो शिक्षक हैं. आधे बच्चे गांव से बाहर प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जाते हैं. बच्चू भाई गामित इसकी वजह स्टोन क्रशिंग का शोर होना बताते हैं.
लंच खत्म होने के बाद एक बार फिर स्टोन क्रशिंग यूनिट चालू हो गया है. स्टोन क्रशिंग यूनिट के शोर में बच्चों का ककहरा एक बार फिर दब गया है. दोनों पैर गंवा चुके एक बुजुर्ग अब तेज आवाज में गाने लगे हैं.