बिलासपुर(नौणी पंचायत). जितने अधिक कागज़ की खपत होगी, उतने ही अधिक पेड़ कटेंगे. कागजों का उपयोग छोड़ कर यहां न केवल पर्यावरण संरक्षित किया जा रहा है बल्कि डिजिटल होने की ओर भी कदम बढ़ाया है. जी हां हम बात कर रहे हैं ग्रामीण क्षेत्रों यानी पंचायतों की. हिमाचल के बिलासपुर जिले की बात करें तो इस जिले की सभी 151 पंचायतों को इंटरनेट सुविधा से जोड़ दिया गया है.
काम में आई तेजी
इंटनरेट से जुड़ने पर पंचायतों के कार्य काफी सुविधाजनक तो हुए ही है, साथ ही कामकाज में तेजी भी आई है. ग्राम पंचायत नौणी विकास खंड बिलासपुर को भी इंटरनेट से जोड़ने पर बहुत सी सुविधाएं मिल रही हैं. ग्राम पंचायत प्रधान निर्मला राजपूत का कहना है कि जब से पंचायत को आॅनलाइन किया गया है कागजी कार्यवाही बहुत कम होने के साथ-साथ कागज की खपत भी कम हुई है. अब पंचायत में स्टेशनरी के खर्चे में भी कमी आई है.
पहले हर कार्य को कागजों पर लिख कर भेजा जाता था. अब कोई भी कार्य करवाना हो विकास खंड कार्यालय को आॅनलाइन प्रेषित कर दिया जाता है. वहीं, अब कार्य की मंजूरी के लिए अधिक समय नहीं लगता है.
ऑनलाइन पेमेंट से रुकी धांधली
वहीं, दूसरी ओर मनरेगा में कार्य कर रहे मजदूरों की पेमेंट का मामला हो या किसी भी प्रकार की सामग्री पंचायत कार्य के लिए मंगवानी हो अब इसका भुगतान आॅनलाईन बैंकिग के द्वारा किया जाता है. इसके बाद धांधली और हेराफेरी की गुंजाइश कम हो गयी है. मजदूर जितने दिन कार्य करते है उतने दिन की पेमेंट उनके खाते में सीधी जमा हो जाती है.
इंटरनेट के आने के बाद पंचायत सचिव का कार्य भी कुछ हद तक कम हुआ है. पहले कार्य को कागजों में लिखा जाता था उसके बाद रजिस्टर मैन्टेन किये जाते थे. अब सीधे कम्प्युटर के माध्यम से ऑनलाइन कर दिया जाता है, और तो और अब परिवार रजिस्टर भी आनलाइन कर दिये गये हैं. लोग किसी भी तरह की जानकारी आॅनलाइन ले सकते हैं.
अब ठेकेदार को भी नेट बैंकिग से पेमेंट की जाती है जिसका रिकार्ड आॅनलाइन चेक किया जा सकता है.