नई दिल्ली. नोएडा के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज मर्डर केस में तलवार दंपति को बरी कर दिया गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फ़ैसला सुनाया. फैसले के बाद डा. राजेश और नूपुर तलवार एक दूसरे से गले मिले और रोते हुए बोले कि उन्हें न्याय मिला है.
इससे पहले सीबीआई कोर्ट ने 26 नवंबर, 2013 को तलवार दंपति को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. जिसके बाद इन्होने इस फैसले के खिलाफ़ हाईकोर्ट में अपील की थी. फैसले के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि तलवार दंपती को संदेह का फ़ायदा दिया जाना चाहिए. उन्होंने अपनी बेटी को नहीं मारा. निचली अदालत का फैसला हालात से उपजे सबूतों के आधार पर था.
क्या है पूरा मामला
नोएडा में 16 मई, 2008 को आरुषि की खून से लथपथ लाश उसके घर में बिस्तर पर पड़ी मिली थी. जिसके बाद क़त्ल का शक नौकर पर किया जा रहा था जोकि घटना के बाद से गायब था. लेकिन 17 मई की सुबह घर के नौकर हेमराज का शव भी खून से सना हुआ घर की छत से बरामद हुआ.
यह क्राइम का मामला किसी थ्रिलर फ़िल्म की स्टोरी की तरह चल रहा था. क़ातिल ने बहुत ही शातिराना तरीके से घटना को अंजाम दिया था. मामला इतना उलझ गया था कि यह सोचना भी मुश्किल हो रहा था कि असल में कातिल है कौन.
तलवार की गिरफ़्तारी
इस मामले में तलवार दंपति के पूर्व नेपाली नौकर विष्णु शर्मा को संदिग्ध माना गया और उसके बाद 22 मई, 2008 को ऑनर किलिंग के एंगल से भी जाँच शुरू की गई. 23 मई, 2008 को आरुषि के पिता डा. राजेश तलवार को गिरफ़्तार किया गया. गिरफ्तारी के बाद डा. राजेश तलवार का नार्को टेस्ट किया गया, जिसके बाद शक की सुई पूर्व नौकर पर गई और उसे गिरफ़्तार किया गया.
लेकिन सीबीआई की क्लोज़र रिपोर्ट में एक बार फिर तलवार दंपति को दोषी ठहराया गया. गाज़ियाबाद कोर्ट ने दोनों को सबूत मिटाने का दोषी पाया और हत्या के केस में शामिल होने के आरोप तय किए.
उम्र कैद की सज़ा
दोहरे हत्याकाण्ड में 2012 को आरुषि की माँ नूपुर तलवार को भी सरेंडर करना पड़ा. इसके बाद नवंबर 2013 में सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपति को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी.
अब जब हाईकोर्ट की तरफ से तलवार दंपति बरी कर दिए गए हैं तो ये रहस्य अब भी बना हुआ है कि आरुषि-हेमराज का कातिल कौन है.