मंडी. मंडी के जोगिंद्रनगर स्थित झमेढ़ गांव के अरुण कुमार भारद्वाज भारतीय तट रक्षक में डीआईजी बनकर जिला का नाम रोशन किया है. अरूण भारद्वाज 2 अगस्त 1996 को सहायक कमांडेंट का पद संभाला था. उन्होंने नेवल आकदमी गोवा से प्रशिक्षण ग्रहण किया.
अरुण ने कई खिताब किये अपने नाम
उसके बाद अरुण ने बाद 1998-2000 को भारतीय तट रक्षक जलपोत सारंग में अपनी सेवा दी. साल 2007-2010 में संकल्प, जल पोत विजया आदि को भारतीय तट रक्षा के लिए तैयार करने में अपनी टीम के साथ अहम भूमिका निभाई. इसके बाद वह जल विभाग से वायु विभाग में चले गए. 2006 से 2008 तक अरुण भारद्वाज की टीम सकवार्डन को बेस्ट एविएशन यूनिट का खिताब प्राप्त हुआ.
डीआईजी अरुण भारद्वाज का सरल स्वभाव, कड़ी मेहनत और तेज तर्रार होने के कारण 2011 में उन्हें फिर से 2014 में बेस्ट अफसर का खिताब मिला. अरुण ने सफलता की सीढ़ी चढ़ते हुए डीआईजी का उच्चतम ओहदा प्राप्त कर लिया है. इससे पहले वह इलैक्ट्रॉनिक और टेलिकॉमनिकेशन की स्नातक की डिग्री हासिल की है. उसके बाद उन्होंने भारतीय तट रक्षक सेना में नियुक्ति पाई.
परिवार के कई लोग हैं भारतीय सेना में
अरूण के पड़दादा, दादा व पिता भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. डीआईजी अरूण के पिता सोहन लाल भारतीय सेना से ऑडनरी कैप्टन रिटायर्ड हुए है. सेवानिवृति के बाद वह पांच बार पंचायत के प्रधान भी निर्वाचित हुए है. सोहन लाल ने 1962, 1965, 1971 और गोल्डन टेपल हरमंदर साहिब अमृतसर में हुए ब्लैक थन्डर आप्रेशन में भाग ले चुके है. अरूण के भारतीय तट रक्षक बनने पर क्षेत्र में खुशी की लहर है.