मंडी. अंतरराष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि महोत्सव का शुभारंभ 15 फरवरी 2018 को होने जा रहा है. मंडी शिवरात्रि का प्रमुख आकर्षण राजदेवता माधोराय की शाही जलेब रही है. राजतंत्र के जमाने से ही शाही अंदाज में निकलने वाली माधोराय की जलेब ग्रामीणों के साथ-साथ शहरवासियों के आकर्षण का केंद्र रही है.
मंडी शिवरात्रि मेलों के दौरान राजदेवता माधोराय की तीन जलेब निकालने की परंपरा रही है. राजतंत्र के जमाने से ही राजदेवता माधोराय की शाही जलेब निकलती है. जिसमें चुनिंदा देवी-देवताओं के रथों के अलावा होमगार्ड और पुलिस बैंड, घुड़सवार और जवानों और स्कूली बच्चों की परेड भी शामिल होती रही है.
माधोराय की इस राजसी ठाट से निकलने वाली जलेब में सनोर बदार, चौहार और सराज क्षेत्रों के कुछ चुनिंदा देवी-देवताओं को शामिल होने का गौरव प्राप्त है.
बड़ादेव कमरूनाग नहीं होते जलेब में शामिल
मंडी शिवरात्रि के प्रमुख लोकदेवता बड़ादेव कमरूनाग माधोराय की जलेब में शामिल नहीं होते हैं. बड़ादेव मेलों के दौरान टारना मंदिर में विराजमान रहते हैं. उनके दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रहती है. मंडी शिवरात्रि के दौरान राजतंत्र के जमाने में राजा हाथी पर सवार होकर जलेब में शामिल होता था. जिसमें शिवरात्रि की जलेब के कुछ चित्र मंडी की कुछ प्राचीन हवेलियों में देखने को मिलते हैं. इन चित्रों में सेरी चानणी और घंटाघर के आसपास लगे मेले के दृश्य चित्रित हैं.
कायम है जलेब का शाही अंदाज
वर्तमान में भी माधोराय की जलेब का वही शाही अंदाज कायम है, लेकिन उसका स्वरूप थोड़ा बदल गया है. अब राजाओं की जगह जनप्रतिनिधियों ने ले ली है. पहली जलेब में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिरकत करते हैं तो अंतिम जलेब में प्रदेश राज्यपाल के शामिल होने की परंपरा है.