शिमला. दवा निर्माण में गुणवत्ता से समझौता करने वाले हिमाचल के 11 दवा उद्योगों पर राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने शिकंजा कसते हुए दवा उत्पादन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. 18 दवा उद्योगों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए हैं. प्राधिकरण ने यह बड़ी कार्रवाई दवा उद्योगों में निर्धारित दवा निर्माण नियमों, मानकों की अनुपालना न होने पर की है.
हिमाचल के 11 दवा उद्योगों पर रोक
बता दें कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन व राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण दवारा चिन्हित दवा निर्माण इकाइयों का दूसरे चरण का जोखिम आधारित निरीक्षण किया जा रहा है. इसी कड़ी में अब तक सोलन, सिरमौर व कांगड़ा जिला में 29 दवा निर्माण इकाइयों का निरीक्षण किया जा चुका है, जिनमें से 11 दवा उद्योगों में खामियां पकड़ में आने के बाद राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने तत्काल प्रभाव से उत्पादन पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं. दवा निर्माण में मानकों को धत्ता बताने पर उतारू इन दवा उद्योगों के खिलाफ राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण की इस कड़ी कार्रवाई के बाद से हिमाचल के फार्मा सेक्टर में हडकंप मचा हुआ है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों के तहत केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन व राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने चिन्हित दवा निर्माण इकाइयों की दूसरे चरण की संयुक्त जांच शुरू की है. संयुक्त जांच निर्धारित मानक संचालन प्रक्रियाओं के अनुरूप की जा रही है. इस कवायद का मुख्य उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण दवा निर्माण सुनिश्चित करना है. इसी कड़ी में हिमाचल के बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़, सिरमौर, ऊना व कालाअंब स्थित 29 दवा इकाइयों का जोखिम आधारित निरीक्षण किया गया.
गुणवत्ता में कमी पाए जाने पर स्टेट ड्रग कंट्रोलर की कार्रवाई
निरीक्षण आरंभ किए जाने से पूर्व दवा निर्माण इकाइयों की पहचान गैर मानक गुणवत्ता (एनएसक्यू)/ मिलावटी/ नकली दवाओं के विनिर्माण के जोखिम के रूप में की गई. राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने निरीक्षण के दौरान बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़, सिरमौर और कांगड़ा जिलों में स्थित 11 दवा उद्योगों में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज के शेड्यूल एम से संबंधित खामियां पाईं, जिस पर अब कड़ी कार्रवाई करते हुए दवा उत्पादन पर रोक लगा दी गई है.
गुणवत्ता से समझौता नहीं होगा बर्दाश्त
राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा की दवा निर्माण में गुणवत्ता से समझौता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. प्राधिकरण इस मसले पर जीरों टोलरेंस की नीति के तहत कार्य कर रहा है.