नई दिल्ली. दहेज और बाल विवाह के विरोध में बिहार में दुनिया की सबसे बड़ी मानव श्रृंखला बनाई गयी. राज्यभर में अलग-अलग रुटों पर बनी 13, 688 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला में लगभग पांच करोड़ लोग शामिल हुये. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के गांधी मैदान में आसमान में गुब्बारा छोड़कर मानव श्रृंखला की शुरुआत की. रविवार को दिन के 12 बजे से 12.30 बजे का समय श्रृंखला के लिये निर्धारित किया गया था. हालांकि लोग कई घंटे पहले से ही मानव श्रृंखला के हिस्सा बनने लगे.
ऐतिहासिक मौके की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के लिये 40 ड्रोन की व्यवस्था भी की गई थी. प्रत्येक जिले को एक-एक ड्रोन दिये गये थे.
सरकारी संस्थानों के कर्मी, जनप्रतिनिधि, स्कूली बच्चे, अभिभावक, शिक्षक, अधिकारी, मंत्री, विधायक से लेकर सूबे के आम नागरिक इस मानव श्रृंखला में शामिल हुये.
मुख्यमंत्री ने मौके पर मीडिया से बातचीत करते हुये कहा कि बाल विवाह और दहेज के खिलाफ संकल्प प्रकट करने के लिए यह आयोजन हुआ. इससे लोगों के मन में उत्साह का माहौल बना है. बाल विवाह व दहेज के खिलाफ पहले से ही काननू हैं. लेकिन, ये कुरीतियां फैलती जा रही हैं. इसलिए हम बापू के जन्मदिवस दो अक्टूबर से निरंतर कैंपेन कर रहे हैं. यह कार्यक्रम जारी रहेगा.
बाल विवाह एवं दहेज प्रथा उन्मूलन अभियान के समर्थन में आयोजित मानव श्रृंखला में भाग लेते हुए।#BiharHumanChain2018https://t.co/6vPquFNxyk pic.twitter.com/V12xK03TjV
— Nitish Kumar (@NitishKumar) January 21, 2018
उन्होंने कहा कि लोगों में बाल विवाह व दहेज के खिलाफ जागरूकता आ रही है. उनके संकल्प का प्रकटीकरण सार्वजनिक तौर पर भी होना चाहिए. इसलिए इस साल 21 जनवरी को बाल विवाह व दहेज के खिलाफ मानव श्रृंखला बनाई गई.
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास के साथ-साथ सामाजिक कुरितियों के खिलाफ भी जन-जागरूकता चलाये जाने की आवश्यकता है.
मुख्यमंत्री के साथ उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, विधान परिषद के कार्यकारी सभापति हारून रशीद भी मौजूद रहे. गांधी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में देश की पहली महिला बैंड ‘सरगम बैंड’ ने भी अपनी प्रस्तुति दी.
मालूम हो कि पिछले साल बिहार में शराबबंदी के समर्थन में मानव श्रृंखला बनाई गयी थी. 2017 में 12,147 किमी लंबी मानव श्रृंखला बनी थी. तब करीब चार करोड़ लोग इसमें शामिल हुये थे. इस बार जिला को खुद ही रूट तय करने के अधिकार दिये गये थे. साथ ही पिछली बार से संख्या में पांच फीसदी वृद्धि करने का निर्देश दिया गया था. इस दौरान लिम्बा बुक ऑफ रिकार्ड की टीम भी मौजूद रही.
यह पूरा कार्यक्रम राज्य सरकार के द्वारा आयोजित करवाया गया था. जिसमें विभिन्न गैर सरकारी संगठन और आम लोग भी शामिल हुये. ऐतिहासिक मानव श्रृंखला को लेकर सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. कुछ लोगों ने सरकार को राज्य की अन्य समस्याओं पर ध्यान देने की नसीहत दे डाली.
वहीं, कुछ लोगों ने इसे ‘राजनैतिक रोटी सेकने’ का उपक्रम भी बताया.