Bihar Vidhanparishad : बिहार विधान परिषद में मंगलवार को उस समय भारी हंगामा हुआ जब हरे रंग की टी-शर्ट पहने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायकों ने विधानसभा के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मांग की कि 65 प्रतिशत आरक्षण नीति को न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिए भारतीय संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
नीतीश कुमार ने तीखी आलोचना की
वहीं प्रदर्शन की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीखी आलोचना की, जिन्होंने आंदोलन को “फर्जी” करार दिया।
जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, राजद के सदस्य विधानसभा के वेल में घुस गए और आरक्षण बढ़ाने के समर्थन में नारे लगाने लगे। कई विधायकों ने 65 प्रतिशत आरक्षण नीति को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की वकालत करने वाले संदेशों से सजी हरी टी-शर्ट पहन रखी थी।
प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए,नाराज नीतीश कुमार खड़े हो गए और कहा कि यह सब फर्जी है। इसका कोई मतलब नहीं है। क्या आपने देश में कहीं ऐसा देखा है?
उन्होंने राजद पर और हमला करते हुए कहा, “देश में कोई और पार्टी नहीं है जो इस तरह का व्यवहार करती हो।”
नीतीश कुमार ने राबड़ी देवी पर हमला बोला
विधान परिषद में मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पर निशाना साधते हुए कुमार ने कहा कि किसी भी पार्टी ने इस तरह का काम नहीं किया है। उन्होंने राबड़ी देवी पर गुस्सा करते हुए कहा कि इसके हसबैंड का है पार्टी, इसको क्या है। ये बेचारी तो ऐसा ही आ गई हैं। जब वह हटा तो इसको बनवा दिया। इसका कोई मतलब है. यह तो ऐसे ही है। यह सब ऐसा ही क्या-क्या करते रहता है। कोई पार्टी में इस तरह से देखे हैं? इस पार्टी का यही हाल है इसका क्या मतलब है? इस टिप्पणी से विपक्षी बेंचों में फिर से हंगामा मच गया।
विधान परिषद की पहली मंजिल पर बैठे पत्रकारों को संबोधित करते हुए कुमार ने सवाल किया, क्या आपने देश में कहीं और ऐसा व्यवहार देखा है? राजद के पहनावे का मजाक उड़ाते हुए उन्होंने कहा कि वे ऐसी टी-शर्ट पहने हुए हैं, जो वे आमतौर पर नहीं पहनते। यह सब फर्जी है।
इससे पहले, राजद और वाम दलों के विधायकों ने बिहार विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और पूर्व महागठबंधन सरकार द्वारा कराए गए जाति आधारित सर्वेक्षण के आधार पर 65 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की मांग की। राजद विधायकों ने हरे रंग की टी-शर्ट पहन रखी थी, जिन पर आरक्षण बढ़ाने की वकालत करने वाले नारे लिखे थे और इसे न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिए इसे भारतीय संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की थी।