नई दिल्ली. शायद इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ हो कि दो प्रमुख दल अपने सीएम कैंडिडेट की घोषणा कर चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन दोनों उम्मीदवाराें की विदाई हो जाए. हम बात कर रहे हैं वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल की.
एक तरफ जहां वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस हार गई. जिससे उनका सातवीं बार मुख्यमंत्री बनने का सपना टूट गया. वहीं धूमल से बड़ा दुर्भाग्य आज शायद ही किसी का होगा, कि जिस पार्टी को लीड कर रहे थे वह पार्टी तो जीत गई, पर स्वयं हार गए. शायद इस हार के साथ ही वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने का चांस भी हार गए हैं. और तो और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी चुनाव हार गए हैं.
बीजेपी अब किसे अपना सीएम बनाएगी
यह दोनों मुख्यमंत्री उम्मीदवारों ने जमकर चुनाव लड़ा. जिसके बाद वीरभद्र तो अर्की से जीत गए पर उनकी कांग्रेस पार्टी हार गई. वहीं धूमल जिन्हें हमीरपुर सीट को छोड़कर सुजानपुर सीट से लड़ना पड़ा था, अपनी सीट नहीं बचा सके. वह कांग्रेस से उम्मीदवार राजेंद्र सिंह राणा से हार गए. हिमाचल में भाजपा की बारात तो आ गई है, पर दूल्हा पीछे रह गया है. अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर दूल्हा किसे बनाया जाए. धूमल को बनाया जाए या फिर किसी और दांव खेला जाए. बीजेपी अब किसे सीएम बनाती है यह देखने वाली बात होगी.