नई दिल्ली. हरियाणा पुलिस एसआईटी की पूछ-ताछ में 600 से अधिक शवों के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के मुख्यालय परिसर में दबे होने की बात सामने आयी है. मंगलवार की शाम ढ़ाई घंटे चली पूछ-ताछ में डेरा के प्रबंधन कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा.पीआर नैन ने एसआईटी को बताया कि डेरा परिसर में 600 से अधिक शव दफनाये गये हैं।
एसआईटी के इंचार्ज डीएसपी कुलदीप बेनिवाल ने डा. नैन से 50 सवाल पूछे. अपने उम्र और बीमारी का हवाला देते हुए 75 वर्षीय डा. नैन सवालों के जवाब देने से बचते रहे. उन्हें मंगलवार की शाम 5.40 में थाने में बुलाया गया था. इससे पहले एसआईटी ने एक दिन पहले सोमवार को डेरा सच्चा सौदा की चेयरपर्सन विपसना इंसा से करीब सवा तीन घंटे तक पूछ-ताछ की थी.
एसआईटी के इंचार्ज कुलदीप बेनीवाल ने कहा, “एसआईटी ने डेरा प्रबंधन कमेटी की चेयरपर्सन विपसना और पीआर नैन को जांच में शामिल होने के लिए नोटिस भेजा था. दोनों से पूछ-ताछ की गई है. वे काफी सवालों के जवाब नहीं दे पाए. इसलिए दोनों को पूछ-ताछ के लिए फिर बुलाया जाएगा” डीएसपी कुलदीप बेनिवाल ने बताया कि 25 अगस्त की हिंसा के समय मीडिया कर्मियों पर हमला करने वाले दस लोगों की पहचान कर ली गई है. जल्द ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा.
शव दफनाने के बाद लगा देते थे पेड़
डा. नैन ने पुलिस पूछ-ताछ में बताया कि अनुयायियों का विश्वास था कि सिरसा स्थित मुख्यालय में शवों को दफनाने से मोक्ष मिलेगा, इसी मान्यता के आधार पर शवों को मरने के बाद दफनाया गया है. उन्होंने पुलिस को बताया कि सभी मौतें स्वाभाविक रूप से हुई हैं जिन्हें दफनाने के बाद उनपर पेड़ लगा दिए जाते थे. एक जर्मन वैज्ञानिक के सलाह के बाद वहां पर खेती किया जाने लगा. वैज्ञानिक ने कहा था कि हड्डियों में फास्फोरस होने की वजह से जमीन उपजाऊ हो जाती है.
डा. नैन ने कई सालों तक डेरा के अस्पताल का प्रबंधन किया था. बाद में उन्हें खेती-बाड़ी की जिम्मेदारी दे दी गई. उन्होंने पुलिस पूछ-ताछ में बताया कि डेरा प्रबंधन ने शवों को अस्पताल नहीं भेजा था, अनुयायियों ने खुद ही अपने शरीर का दान किया था.
दंगे फैलाने के लिये पांच करोड़ रुपये बंटवाने के जवाब में डा. नैन ने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. पूछ-ताछ में उन्होंने बताया है कि 25 अगस्त की रात हनीप्रीत रोहतक से सिरसा डेरा आई थी. लेकिन उसके बाद से उनका कोई संपर्क नहीं है.