पटना: बिहार सरकार को पटना हाई कोर्ट से राहत मिली है. पटना हाई कोर्ट ने आज बिहार सरकार द्वारा कराए जा रहे जातिगत सर्वे और आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण पर लगायी रोक को हटा दिया है. इसके साथ ही इस संबंध में दायर सभी याचिका को निरस्त कर दिया है.
ये फैसला हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थसारथी की खंडपीठ ने दिया. पटना हाई कोर्ट ने इससे पहले बिहार सरकार के जातिगत सर्वे कराने के निर्णय पर अंतरिम रोक लगायी थी.
पटना हाईकोर्ट ने जातिगत सर्वे पर लगाई थी अंतरिम रोक
इससे पहले सात जुलाई को इस मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. इससे पूर्व पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के सर्वे कराने के निर्णय पर अंतरिम रोक लगायी थी. पटना हाईकोर्ट ने जाति आधारित गणना को असंवैधानिक मानते हुए इस पर अंतरिम रोक लगाई थी.
बिहार BJP अध्यक्ष ने हाईकोर्ट के फैसले का किया स्वागत
लोकसभा सांसद संजय जयसवाल ने जातीय गणना को लेकर पटना हाईकोर्ट के फैसले पर मिडिया से बात की. उन्होंने कहा कि हम पटना हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. पहले दिन से बिहार भाजपा ने जातीय गणना का समर्थन किया है. उस वक्त के वित्त मंत्री रहे तारकिशोर प्रसा ने ही सबसे पहले जातीय गणना के लिए 500 करोड़ के आवंटन को मंजूरी दी थी.
नीतीश सरकार जातिगत गणना कराने के पक्ष में
आपको बता दें कि नीतीश सरकार जातिगत गणना कराने के पक्ष में रही है. नीतीश सरकार ने 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा और विधान परिषद में पास करा चुकी है. इसके बाद बिहार में पहले चरण की जातिगत गणना 7 जनवरी से 21 जनवरी के बीच हुई. वहीं, दूसरे चरण की गणना 15 अप्रैल को शुरू हुई थी जिसे 15 मई तक संपन्न किया जाना था.