बिलासपुर. अदाणी समूह ने सरकार के सामने मालभाड़ा विवाद सुलझाने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं. सरकार की ओर से गठित कमेटी के अध्यक्ष के नाम जारी पत्र में अदाणी समूह ने विवाद का कारण कंपनी के अधिकार क्षेत्र में ट्रक यूनियनों के हस्तक्षेप को बताया है.
अदाणी समूह के सीमेंट बिजनेस के सीईओ अजय कपूर की ओर से जारी पत्र के माध्यम कहा गया है कि अंबुजा और एसीसी सीमेंट प्लांट में माल ढुलाई के लिए 550 ट्रक की आवश्यकता है, जबकि वर्तमान में 3,311 ट्रक लगे हैं.
कंपनी के अधिकार क्षेत्र में ट्रक यूनियनों का हस्तक्षेप
कंपनी का तीन साल में 2,761 ट्रकों को हटाने का प्रस्ताव है. भविष्य में किसी नए ट्रक को जोड़ने पर तत्काल रोक लगाई जाए. अन्य राज्यों की भांति परिवहन के संबंध में सभी निर्णय कंपनी की ओर से तय किए जाएंगे. अंबुजा, एसीसी इकाइयों और समूह की अन्य कंपनियों के बीच बैग की अदला-बदली की अनुमति देने का अधिकार कंपनी के पास हो. पत्र में लिखा है कि जो समस्या पैदा हुई है, वह ट्रांसपोर्टर यूनियनों के परिवहन बाजार पर पूरी तरह नियंत्रण करने से हुई है.
परिवहन बाजार पर पूरी तरह नियंत्रण
यूनियनें न केवल मालभाड़े की दरें और तैनाती तय करती हैं, बल्कि यह भी तय करती हैं कि किसकी सामग्री को कहां ले जाया जाए. यह बहुत ही खतरनाक स्थिति है. यूनियन प्रभावी रूप से उन सभी परिवहन संबंधी परिचालन निर्णयों को नियंत्रित कर रही हैं, जो कंपनियों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. राज्य में ट्रक बेड़े की आबादी मांग से तीन गुना अधिक है. ट्रकों की अधिक संख्या के कारण प्रदेश में ट्रकों की ओर से तय की जाने वाली किलोमीटर दूरी राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है. ट्रांसपोर्ट यूनियनों के अनावश्यक हस्तक्षेप ने राज्य के अन्य सभी उद्योगों के लिए मुश्किलें पैदा की हैं. प्रदेश में नए निवेश को आकर्षित करने में सबसे बड़ी बाधा है. दीर्घकालिक समाधान पर पहुंचने के लिए परिवहन बाजार को यूनियनों के नियंत्रण से मुक्त करने की आवश्यकता है.