पहलाज निहलानी को सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है. उनकी जगह पद्म श्री प्रसून जोशी लेंगे. प्रसून जोशी गीतकार हैं और लोकप्रिय विज्ञापन बनाने के लिए जाने जाते हैं.
पहलाज निहालानी को 19 जनवरी 2015 को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था. उनके अध्यक्ष बनने के बाद विवाद का जो सिलसिला शुरु हुआ वो अंत तक कायम रहा.
पहलाज निहलानी की वजह से ‘फिप्टी शेड्स ऑफ ग्रे’ लोगों को इंटरनेट से डाउनलोड करके देखना पड़ा. पहलाज ने फिल्म पर 70 कट लगाये. फिर भी वे उसे ‘साफ-सुथरा’ नहीं बना पाये. तब वे अध्यक्ष पद पर नये-नये अाये थे.
उन्होने अनुष्का शर्मा की फिल्म एनएच-10 को ‘हिंसा’ से भरपूर माना. 10 कट लगाने के बावजूद भी वे फिल्म को सबके लिए सुलभ नहीं बना पाए. फिल्म को सिर्फ व्यस्कों के लिए रिलीज किया जा सका.
हाल ही में वे ‘लिप्स्टिक अंडर माई बुर्का’ फिल्म पर कट लगाने के लिए विवादों में रहे. सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद फिल्म रिलीज हो पाई. अध्यक्ष रहते हुए पहलाज निहलानी ने फिल्म ‘द बैटल ऑफ बनारस’ रोके रखा. अब जब वे चले गए हैं तो शायद फिल्म को रिलीज किया जा सके.
जाते-जाते उन्होने कहा कि अब उनके जाने के बाद फिल्म के नाम पर पॉर्न परोसा जाएगा. उन्होने जो बयान दिया उससे यह भी पता चल गया कि वो फिल्मों में कट देश की संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों को बचाए रखने के लिए लगा रहे थे. निहलानी ने कहा “सेंसरशिप जरूरी है और इससे परहेज करने का मतलब है कि आप फिल्म निर्माताओं को हर फिल्म में पॉर्न और अश्लीलता परोसने की खुली छूट दे रहे हैं. अपने देश की संस्कृति और अपने पारंपरिक मूल्यों को बचाए रखने के लिए सेंसरशिप जरूरी है.”
वैसे पहलाज जो कहते हैं, वो अपने फिल्मों के लिए कितना लागू करते हैं ये खुद ही पता लगाइये. उनके कुछ फिल्मों के नाम हैं ‘अंदाज’, ‘हथकड़ी’, ‘शोला और शबनम’ और दिल तेरा दीवाना’. एक नमूना ये रहा.
उन्होने विकसित भारत दिखाने के लिए एक गीत भी बनाया लेकिन उसमें फोटो किसी दूसरे देश का लगा दिया. इसके बाद उन्हे काफी फजीहत झेलनी पड़ी और खुद के गीत पर कैंची चलाना पड़ा.
अब वे भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से अलग हो चुके हैं, तो फिल्म निर्माता और दर्शकों को थोड़ी राहत मिली है. वैसे उन्होने आते ही गंंदी बातों का एक शब्दकोष बनाया था. यह अलग बात है कि उसमें पंजाब नहींं था. फिर भी उन्होने ‘उड़ता पंजाब’ में नाम को छोड़कर हर जगह से पंजाब को उड़ा दिया था.