शिमला: दिल्ली से लौटकर और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलने दोबारा दिल्ली जाने से पहले मुख्यमंत्री सुक्खू ने एक बड़ा खुलासा किया. राजभवन में मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने उनकी सरकार के पांच महीने के भीतर ही लोन की लिमिट को 14,500 करोड़ सालाना से 5,500 करोड़ रुपए कम कर दिया है.
NPS कंट्रीब्यूशन के बदले 1,780 करोड़ का लोन भी रोका
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल को वित्त वर्ष 2022-23 में नेशनल पेंशन स्कीम में दी गई कंट्रीब्यूशन के बदले भी 1,780 करोड़ का लोन मिल रहा था. इस लोन को भी केंद्र सरकार ने रोक दिया है, इसलिए उन्हें केंद्रीय वित्त मंत्री से मिलने अफसरों की टीम के साथ दिल्ली जाना पड़ रहा है. इससे पहले धर्मशाला में हुई ओल्ड पेंशन आभार रैली में मुख्यमंत्री ने एनपीएस कंट्रीब्यूशन के 9,300 करोड़ को वापस लाने के लिए दिल्ली कूच करने का आह्वान किया था.
अब राज्य सरकार की ऋण सीमा को लेकर नया खुलासा मुख्यमंत्री ने किया है. उन्होंने कहा कि राज्य की वित्तीय स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है, लेकिन हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर कदम राज्य सरकार उठाएगी. पंजाब सरकार के शानन बिजली प्रोजेक्ट के मामले में पूछे गए सवाल पर सीएम ने कहा कि वह सोमवार को ही केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से दिल्ली में मिले थे और उनसे इस प्रोजेक्ट को अगले साल लीज पूरा होते ही हिमाचल को वापस लौटाने का आग्रह किया था.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कानूनी प्रक्रिया को देखने के बाद इस बारे में कदम उठाने का आश्वासन दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि एक वक्त था, जब हिमाचल ने एनटीपीसी, एनएचपीसी या एसजेवीएनएल जैसी सरकारी कंपनियों को कम फ्री बिजली पर ही बिजली प्रोजेक्ट दे दिए. हिमाचल में बहता पानी ही हमारा एकमात्र कमाई का साधन है. हम यह कह रहे हैं कि जो प्रोजेक्ट अब लोन से फ्री हो गए हैं, वे राज्य सरकार को दी जाने वाली फ्री पावर में वृद्धि करें.
जयराम सरकार पर भी लगाए आरोप
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू ने एक और आरोप लगाया कि पूर्व भाजपा सरकार ने ऐसे बिजली परियोजनाओं के एमओयू साइन कर दिए हैं, जिसमें फ्री पावर को भी 12 साल तक डेफर कर दिया है. ऐसे हिमाचल आगे नहीं बढ़ पाएगा. उनकी सरकार अब फ्री बिजली या रॉयल्टी ज्यादा देने पर ही बिजली परियोजनाएं आबंटित करेगी. इससे हिमाचल का राजस्व बढ़ेगा और हम आत्मनिर्भरता की तरफ जाएंगे. उन्होंने कहा कि हिमाचल के हक के लिए वह भारत सरकार से लगातार मामले उठाते रहेंगे.