शिमला. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की ब्रिटिशकालीन प्रिंटिंग प्रेस को बंद करने की तैयारी की जा चुकी है. इस दिशा में केंद्र सरकार ने प्रिंटिंग प्रेस के 54 कर्मचारियों को दिल्ली स्थित मायापुरी प्रिंटिंग प्रेस में स्थानांतरित कर दिया है. वहीं शेष कर्मचारियों को स्थानांतरित करने की तैयारियां चल रही हैं.
कर्मचारियों का विरोध
प्रेस में तैनात कर्मचारी केंद्र सरकार के इस निर्णय के विरोध में उतर आए हैं. कर्मचारियों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि वे किसी भी सूरत में इस प्रेस को बंद नहीं करने देंगे और किसी दूसरी जगह ज्वाइनिंग भी नहीं देंगे.
गवर्नमेंट ऑफ इंडिया प्रेस वर्कर्ज यूनियन शिमला के अध्यक्ष मोहनदत्त शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार शिमला स्थित प्रिंटिंग प्रेस को बंद करने जा रही है. 54 कर्मचारियों को 16 दिसंबर को दिल्ली के मायापुरी में ज्वाइनिंग देनी है. शेष 37 कर्मचारियों को स्थानांतरित करने की तैयारी भी चल रही है, जिसका यूनियन ने पुरजोर विरोध किया है.
उन्होंने कहा कि कर्मचारी दिल्ली मायापुरी में ज्वाइनिंग नहीं देंगे और इस निर्णय का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा. गुरुवार को प्रिंटिंग प्रेस सहित अन्य केंद्रीय कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों ने इसके विरोध में शिमला में प्रदर्शन किया और आगे भी विरोध जारी रखने की चेतावनी दी है.
देश में रहेंगी मात्र पांच प्रिंटिंग प्रेस
यूनियन के प्रधान मोहनदत्त शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार अपने अधीन काम करने वाली देश भर की 12 प्रेसों को बंद करने की तैयारी में है, जिसके बाद देश में मात्र पांच प्रिंटिंग प्रेस ही बचेंगी. सरकार प्रिंटिंग प्रेसों को मर्ज कर रही है, जो न्यायसंगत नहीं है.
2001 में मिला था बेस्ट प्रेस का अवार्ड
शिमला स्थित प्रिंटिंग प्रेस ब्रिटिशकाल में 1872 में स्थापित की गई थी. अंग्रेज इस प्रेस में महत्त्वपूर्ण दस्तावेज छाप कर देश भर में पहुंचाते थे. शिमला प्रिंटिंग प्रेस को वर्ष 2001 में बेस्ट प्रिंटिंग प्रेस का आवार्ड भी मिल चुका है.
वर्ष 2007 से इस प्रेस में उत्पादन कम ट्रेनिंग ज्यादा की जाती है. वर्तमान समय में भी इस प्रेस में ट्रेनिंग चल रही है. ऐसे में इस प्रेस को बंद करने की तैयारी से कर्मचारियों में रोष व्याप्त है. कर्मचारी केंद्र सरकार से इस फैसले को वापस लेने का दबाव बना रहे हैं, जिससे कि इस एतिहासिक प्रेस को बचाए रखा जा सके.