केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तावित उन नामों के पुराने रिकॉर्ड खंगालने शुरू कर दिये हैं, जिनकी संस्तुति न्यायाधीश के पदों के लिये की है. कानून व न्याय मंत्रालय द्वारा हालिया जारी दस्तावेज के मुताबिक, हाई कोर्ट से न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये प्रस्तावित नामों की विस्तृत जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. गौरतलब है कि यह दस्तावेज न्याय विभाग ने अगस्त में कैबिनेट सचिवालय को भेजा है.
हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया के मुताबिक न्यायाधीशों की एक समिति निचली अदालतों के न्यायाधीशों के सबसे अच्छे निर्णयों का मूल्यांकन कर उनके नामों का चुनाव करती है. इन्ही नामों पर सुप्रीम कोर्ट की समिति विचार करती है. प्रक्रिया के मुताबिक हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय समिति जब सुप्रीम कोर्ट को किसी नाम की सिफारिश करती है तो वह उसके पुराने रिकॉर्ड भी साथ में भेजती है. इन्ही रिकॉर्ड को आई बी की रिपोर्ट जोड़े जाने के लिये केंद्र सरकार के पास भेजा जाता है. सरकार इन्ही नामों के पुराने रिकॉर्ड को खंगाल रही है.
मालूम हो कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार न्यायिक प्रक्रिया में नियुक्तियों को लेकर लगातार एक-दूसरे के सामने आते रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में पूरी तरह से स्वायत्त इकाई है. जिसे जस्टिस कर्णन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में की गयी टिप्पणियों की वजह से एक बार फिर केंद्र सरकार की तरफ से यह चुनौती मिल रही है.