नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में लोकसभा सांसद डॉ. फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि अगर धारा 35 ए के साथ छेड़छाड़ की गई तो एक बड़ा जन आन्दोलन होगा. इसे छेड़ना मतलब जम्मू-कश्मीर को आग के हवाले करना है. केंद्र सरकार इन बातों से अनभिज्ञ है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार एक रणनीति के तहत 35 ए को ख़त्म करने में लगी हुई है. वहीं, आरएसएस और भाजपा धारा 370 व कश्मीर की स्वायत्तता खत्म करने के एजेंडे पर चल रहे हैं. केंद्र सरकार को यह मालूम होना चाहिए कि अगर यह धारा ख़त्म हुई तो यहाँ के लोगों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
डॉ फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि धारा 35 ए के तहत जम्मू-कश्मीर के लोगों को मिले अधिकारों को लेकर नेशनल कांफ्रेंस 14 अगस्त से जागरूकता अभियान चलाएगी. यह जानकारी पूर्व मुख्यमंत्री उम्र अब्दुल्ला ने ट्वीट के जरिये दी और कहा कि हम राज्य के लोगों को बताएँगे कि इसके हटाये जाने पर यहाँ के लोगों का कितना नुकसान होगा.
In order to educate the people of J&K about the implications of striking down #35A @JKNC_ will organise awareness camps starting 14 August.
— Omar Abdullah (@abdullah_omar) August 7, 2017
क्या है धारा 35 ए
अनुच्छेद 35 ए जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को ये अधिकार देता है कि वो ‘स्थायी नागरिक’ की परिभाषा तय कर सके और उनकी पहचान कर विभिन्न विशेषाधिकार भी दे सके. यह अनुच्छेद 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा पारित आदेश के जरिये भारत के संविधान में जोड़ा गया था. इस अनुच्छेद के मुताबिक जम्मू –कश्मीर के बाहर का व्यक्ति न तो वहां सरकारी नौकरी कर सकता है न ही वहां जमीन और मकान जैसी कोई सम्पति ही खरीद सकता है. वहीं, बाहरी लोगों को राज्य सरकार द्वारा संचालित व्यावसायिक पाठ्यक्रमों वाले शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई करने का भी हक़ नहीं है.