चंबा. प्रदेश में खस्ताहाल पुलों की भरमार है. बहुत से पुल ऐसे हैं जहां पर सफर करना खतरे से खाली नहीं है. पहले चंबा का परेल पुल टूटा उसके बाद बालू पुल क्षतिग्रस्त हुआ. जिस पर प्रशासन द्वारा भारी वाहन का गुजरना वर्जित कर दिया गया और अब चोहड़ा के पास लाल पुल का एक तरफ से धसना विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान जरूर उठाता है. चंबा से करीब 40 किलोमीटर दूर चोहड़ा के पास लालपुल एक तरफ से पूरी तरह से धंस चुका है. पुल के लोहे में दरारें आ चुकी हैं और वह कभी भी गिर सकता है. जहां पर एक बड़ा हादसा हो सकता है.
बड़े हादसे का इंतजार करता विभाग
यह पुल चमेरा जल विद्युत परियोजना एक के अंतर्गत आता है. स्थानीय प्रशासन ने चमेरा प्रबंधन को कुछ हफ्ते पहले इसके बारे में अवगत भी करवा दिया है. उसके बाद चमेरा प्रबंधन ने पुल के दोनों तरफ बोर्ड लगाकर अपने कार्य से पल्ला झाड़ लिया है. प्रबंधन द्वारा यहां पर पुल की मरम्मत के कार्य के लिए बंद का बोर्ड तो लगा दिया गया है. लेकिन वाहनों को पुल के ऊपर से गुजरने के लिए कोई भी बैरीकेट नहीं लगाए. अगर रात के समय कोई गलती से भारी वाहन उस पुल से गुजरता है और वहां पर बड़ा हादसा हो सकता है. लेकिन यहां देख ऐसा लगता है की विभाग किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है.
पुल पर गाड़ी चलाना खतरे से खाली नहीं
पुल के ऊपर से गुजरने वाले वाहन चालकों ने बताया कि यह पुल एक तरफ से धंस चुका है. जिसकी वजह से इसके ऊपर गाड़ी चलाना खतरे से खाली नहीं है. उन्होंने बताया हलांकि पुल के साइड पर बोर्ड लगा दिया है लेकिन कई बार बोर्ड के ऊपर नजर भी नहीं पड़ती है और वाहन चालक पुल के ऊपर से बहन को ले गुजरते हैं. उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया की पुल के दोनों तरफ बैरीकेट लगा. इस पुल की मरम्मत का कार्य जल्द से करवाया जाए ताकि किसी तरह के हादसे को होने से रोका जा सके.