शिमला. अध्यापकों की राजनैतिक प्रताड़ना न हो और वे निश्चिंत होकर शिक्षा की गुणवता के लिए अपना पूरा ध्यान लगा सके. इसके लिए हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति ने अध्यापकों की तबादला नीति में बदलाव की मांग की है.
समिति के पूर्व राज्य अध्यक्ष और राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के पूर्व सलाहकार डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि इस समय सरकारी शिक्षा को बचाना एक बड़ी चुनौती है. जिस तरह से शिक्षा का तेजी से निजीकरण और व्यवसायीकरण हो रहा है. उससे सरकारी शिक्षा प्रभावित हो रही है. प्रदेश में लगातार बच्चे सरकारी स्कूलों से निजी स्कूलों में जा रहे हैं. सरकारी स्कूलों को निजी हाथों में देने की चर्चा से इसके अस्तित्व पर संकट गहरा रहा है. इससे गरीब और आम आदमी के बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा और देश फिर से निरक्षरता की ओर जाएगा.
उन्होंने कहा कि पिछले दशकों में साक्षरता के लिए जितने प्रयास हुए हैं वह सब व्यर्थ हो जाएंगें और स्थिति फिर से खराब हो जाएगी. शिक्षा को रोजगार परक बनाते हुए शिक्षा की गुणवता पर भी ध्यान देने की जरूरत हैं. डाॅ. तंवर ने अध्यापक संगठनों से विशेष अपील करते हुए कहा वह सभी मिलकर सरकारी शिक्षा को बचाने के लिए आवाज़ उठाएं.