नई दिल्ली. चीन और पाकिस्तान के बीच आर्थिक गलियारा ‘सीपीइसी'(चाइना-पाक इकोनोमिक कोरिडोर) बनाने पर सहमति बन गई है. यह गलियारा कश्मीर के उन हिस्सों से भी गुजरेगा जो पाकिस्तान के कब्जे में है. भारत इस परियोजना को लेकर लगातार विरोध जताता रहा है.
कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी के राजनीतिक एवं कानूनी मामलों के आयोग के प्रमुख मेंग जियांझू ने बीजिंग यात्रा पर आए पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नसीर खान जांजुआ के बीच शनिवार समझौते हुए.
समझौते के बाद पाकिस्तान ने चीन के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को अपनी विदेश नीति की आधारशिला करार दिया है. वहीं मेंग ने कहा, “अच्छे दोस्त, मैत्रीपूर्ण पड़ोसी और सदाबहार रणनीतिक साझेदार के तौर पर चीन और पाकिस्तान ने एक-दूसरे के अहम हितों का हमेशा मजबूती से समर्थन किया है.”
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने आसिफ से मुलाकात के दौरान पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी रिकॉर्ड की प्रशंसा की. उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान, चीन का अच्छा भाई और पक्का दोस्त है. कोई भी चीन को पाकिस्तान से बेहतर नहीं जानता और समझता.’
राष्ट्रीय स्तर पर चीन के द्वारा यह भी प्रचारित किया जा रहा है कि इस गलियारे से आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाने में मदद मिलेगी. जबकि चीन पर यह भी आरोप लगते रहे हैं कि वह पाक प्रायोजित आतंकी गतिविधियों को छुप तौर पर सहायता देता रहा है.
चीन और पाकिस्तान का आर्थिक गलियारा सीपीईसी दोनों देशों की अशांत क्षेत्रों कसड़क और रेलमार्गों के द्वारा जोड़ेगी. सीपीइसी उत्तर पश्चिम चीन में शिनजियांंग प्रांत को दक्षिण पश्चिम पाकिस्तान के अरब सागर स्थित ग्वादर बंदरगाह को जोड़ेगी. इस परियोजना में लगे कर्मियों की सुरक्षा के लिए चीन ने 15 हजार सैनिकों की तैनाती क्षेत्र में की है. सीपीईसी चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की बेल्ट एंड रोड (बीएंडआर) पहल का पहला चरण है.