शिमला. हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अपनी चुनावी वादे को पूरा करने की कवायद शुरू कर दी है. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने प्रदेश के लोगों के लिए 125 यूनिट की जगह 300 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा किया था, और अब इसे अमल में लाने के लिए सरकार की ओर से बिजली बोर्ड के अधिकारियों से जानकारी मांगी गई है.
बिजली बोर्ड के अधिकारियों से मांगी गई जानकारी
मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार रामसुभग सिंह ने बिजली बोर्ड के अधिकारियों से फ्री बिजली दिए जाने को लेकर तीन चीजों पर जानकारी मांगी है. बिजली विभाग के अधिकारियों से पूछा गया है कि 300 यूनिट फ्री बिजली वाली इस स्कीम के लागू होने से प्रदेश के कितने घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त में बिजली मिलेगी? साथ ही इस योजना के शुरू होने पर कितना खर्च आएगा? साथ ही यह पूछा गया है कि इसके लिए होने वाले खर्च की भरपाई कैसे की जा सकेगी?
कांग्रेस ने चुनावी घोषणापत्र में किया था वादा
कांग्रेस ने पिछले साल हिमाचल प्रदेश में हुए विधानभा चुनाव से पहले नवंबर में चुनावी घोषणापत्र जारी करते हुए पुरानी पेंशन योजना बहाल करने और एक लाख नौकरियों के अलावा 300 यूनिट फ्री बिजली देने समेत कई तरह का वादा किया था.
फ्री बिजली देने से बढ़ेगा आर्थिक दबाव
हालांकि हिमाचल प्रदेश में इस समय हर महीने 125 यूनिट फ्री बिजली देने से बोर्ड का राजस्व घाटा 275 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. जबकि सरकार की ओर से इसके बदले में बिजली बोर्ड को हर महीने 66 करोड़ की सब्सिडी दे रही है. प्रदेश में करीब 25 लाख घरेलू उपभोक्ताओं में से 14 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट से कम बिजली यूज करने पर 0 रुपये का बिल दिया जा रहा है.
निशुल्क बिजली देने को पूछी जा सकती है स्वेच्छा
दिल्ली और पंजाब की तर्ज पर हिमाचल सरकार भी प्रदेश में 300 यूनिट निशुल्क बिजली लेने के लिए उपभोक्ताओं से स्वेच्छा पूछ सकती है. इसके तहत उपभोक्ताओं को बोर्ड के पास आवेदन कर बताना होगा कि उन्हें निशुल्क बिजली सप्लाई चाहिए है या नहीं.