शिमला. दो मई को नगर निगम शिमला के चुनाव हैं. हिमाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद यह पहला चुनाव है, जहां मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू को अपनी अग्निपरीक्षा देनी होगी. खुद 10 साल तक नगर निगम शिमला में बतौर पार्षद काम करने वाले सुखविंद्र सुक्खू के कंधों पर अब 34 पार्षदों को जीत दिलाने की जिम्मेदारी है.
आने वाले दिनों के कार्यक्रम स्थगित
नगर निगम शिमला चुनाव की अग्निपरीक्षा पार करने के लिए मुख्यमंत्री सुक्खू ने आगामी 6 दिन तक के सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं. मुख्यमंत्री अब आने वाले दिनों में शिमला में ही रहेंगे और सभी 34 वार्डों में प्रचार कर जान झोंकने जा रहे हैं. मुख्यमंत्री का सभी 34 वार्ड में प्रचार करने का प्लान है. हालांकि पांच दिनों में यह प्रचार पूरा कर पाना आसान नहीं है. ऐसे में कई वार्डों की जनसभा को मर्ज कर करने की भी रणनीति तैयार की जा रही है.
नगर निगम शिमला चुनाव में भी 10 गारंटियां
हिमाचल कांग्रेस विधानसभा चुनाव की तर्ज पर नगर निगम शिमला चुनाव में भी 10 गारंटियां लेकर आ रही है. इन 10 गारंटियां पर ही कांग्रेस चुनाव लड़ेगी. इसके अलावा चुनाव में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की तर्ज पर ही नगर निगम चुनाव में भी व्यवस्था परिवर्तन का नारा दिया गया है. कांग्रेस पार्टी बीजेपी के बीते पांच साल के कार्यकाल को विफल बताकर मुद्दा बनाने में जुटी हुई है. इसके अलावा स्मार्ट सिटी के नाम पर हुई पैसों की बर्बादी को भी कांग्रेस मुद्दा बना रही है.
CM सुक्खू जीत के लिए झोंकेंगे पूरी जान
हाल ही में हुए सत्ता परिवर्तन से कांग्रेस को कुछ हद तक फायदा मिल सकता है. हालांकि यह चुनावी रण मुख्यमंत्री के लिए इतना भी आसान नहीं रहेगा. भले ही पार्टी में बगावत नाम मात्र की हुई हो, लेकिन कई वार्डों में अंदरूनी कलह पार्टी की चिंताएं बढ़ा सकती है. अलग-अलग गुटों में बंटी कांग्रेस के लिए नगर निगम के चुनाव जीतना आसान नहीं रहने वाले हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री सुखविंद्र अपने पहले चुना के लिए दिन-रात एक कर पूरी जान झोंकते हुए नजर आने वाले है.