मंडी. लंबे अर्से के बाद आखिरकार मौसम की बेरूखी कम हुई और मंगलवार को जिले के निचले हिस्सों में हल्की बूंदाबांदी हुई. वहीं ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी से शीत लहर का प्रकोप बढ़ गया है. बारिश और बर्फबारी से जिले के किसानों और बागवानों के चेहरे खिल उठे हैं. पहाड़ी इलाके में बर्फबारी और बारिश के कारण दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में ठंड वापस लौट आई है.
बारिश नहीं होती तो किसानों को होता भारी नुकसान
मौसम की इस बारिश और बर्फबारी को फसलों और बागवानी के लिए शुभ माना जा रहा है. अगर बारिश न होती तो किसानों की फसल तबाह हो जाती. सूखे के चलते जहां जल स्रोत सूखने के कगार पर थे. वहीं पर शुष्क ठंड से खांसी, जुकाम व वायरल की चपेट में कई लोग आ गए थे. इससे भी अब निजात मिलेगी. वहीं बर्फबारी से सेब के बगीचों में चिलिंग आवर पूरे होने से सेब के पौधों को होने वाली बीमारियों से छुटकारा मिलेगा.
बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है
मंडी जिला के पराशर, कमरूघाटी, जंजैहली, शिकारी देवी, कमरूनाग, चौहारघाटी, करसोग के देवधमूनी नाग आदि क्षेत्रों में बर्फबारी से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. जिला की कमरूघाटी में छ इंच के करीब बर्फ पड़ गई है. वहीं पर ताजा बर्फबारी से बिजली के खंबे टूटने से कमरूघटी में बिजली गुल हो गई. लोगों को शाम अंधेरे में गुजारनी पड़ी.
वहीं पर मंडी जिला के निचले क्षेत्रों में हल्की बूंदाबांदी होने से शुष्क ठंड का प्रकोप कम हुआ है. जिससे इस मौसम में होने वाली बीमारियों से लोगों को निजात मिलेगी. वहीं पर यह बारिश गेहूं की फसल के लिए अच्छी मानी जा रही है. जिला के असिंचित क्षेत्रों में बारिश न होने की वजह से गेहूं की फसल पीली पड़नी शुरू हो गई थी.
इस बारिश से फिर से किसानों को फसल होने की उम्मीद जगी है. वहीं पर बर्फबारी से अब सेब के बगीचों में बहार आने की संभावना है. इस मौसम में सेब के पौधों को चिलिंग की जरूरत होती है. जिससे पौधों में बीमारियां लगने की संभावना कम हो जाती है. कमरूघाटी के बागवानों, बिंदर कुमार, रमेश, सतीश , भगत सिंह, सुरेंद्र , भादर सिंह आदि का कहना है कि बर्फबारी से अब बागवानों की उम्मीदें परवान चढ़ी है.
वहीं पर क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अनुसंधान संस्थान के चिकित्सक डा. ओम राज का कहना है कि इस बारिश से शुष्क ठंड का प्रकोप कम हो जाएगा. जिससे लोगों वायरल, खांसी, जुकाम आदि से निजात मिलेगी.